दोस्त की दास्तां

Friday, Oct 06, 2017 - 04:06 PM (IST)


वो मँजर अब तक मुझे याद है ,जब भाभी जान से अाप वादा करते थे फिल्म दिखाने का
बेचारी देखती रहती थीं राह अापके अाने का

कई वर्षों बाद भाभी को
यह राज समझ में अाया
यह गुल तो हमेंशा 
पुराने दोस्तों ने खिलाय

फिर अाँखें लाल कर के
अापने यारों को डराया
मैं गिडगिडाया भाभी जान
यह पुराने महारथी हैं मैं तो नया अाया

अच्छा तुम नये हो अब की बार माफ किया
अच्छा अब जाअो पर खबरदार
कभी इस मुहल्ले में नजर न अाना
मैं फुल स्पीड से भागा शरीफपुरे से
कटरा शेरसिंह में जाकर दम अाया।

 लेखकः तिलक राज दत्ता
 

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