ढोंगी बाबा और उनका चम्चा

punjabkesari.in Monday, Oct 30, 2017 - 05:25 PM (IST)

हमारे ऋषि-मुनियों ने चार आश्रम की स्थापना की- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। ये आश्रम इसलिए स्थापित किए ताकि गृहस्थ और संन्यासी में फर्क किया जा सके, लेकिन आजकल गृहस्थ ही खुद को संन्यासी या संत मानने लगे हैं। वे सभी सुख-सुविधाओं के बीच रहकर उन्हें भोगते हुए खुद को संत या संन्यासी बताते हैं। लोग ऐसे तथाकथित संतों से दीक्षा लेकर उन्हें अपना गुरु मानते हैं। ये ऐसे गुरु घंटाल हैं कि लोगों को देते कुछ नहीं बल्कि लोगों के पास जो है उसे भी छीन लेते हैं।

 

फर्जी बाबाओं की भरमार :देश-विदेश में बहुत सारे फर्जी बाबा हैं, जिनकी समय-समय पर पोल खुली है। बाबाओं की भरमार के बीच कुछ बड़े नाम हैं- जैसे तांत्रिक चंद्रास्वामी, नित्यानंद, भीमानंद, निर्मल बाबा आदि ये वो नाम हैं, जो किसी न किसी कारण विवादों में रहे हैं। इनमें से कुछ पर तो गंभीर आरोप सिद्ध हुए हैं और बहुत से ऐसे बाबा हैं, जिन पर धर्म को धंधा बनाने का आरोप लगता रहता है, जैसे कोई योग बेच रहा है तो कोई जड़ी-बुटी। कोई ध्यान बेच रहा है तो कोई प्रवचन।


 
बहुत से बाबाओं पर तो यौन दुराचार और देह व्यापार करने का आरोप भी लगाया गया है, जैसे- भगवताचार्य राजेंद्र, नित्यानंद, पायलट बाबा, इच्छाधारी बाबा, भीमानंद उर्फ राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ शिवमूरत बाबा, बंगाली बाबा ऊर्फ तांत्रिक बाबा आदि। सेक्स रैकेट चलाने वाले साधुओं के नामों की तो लंबी फेहरिस्त है। कथित बाबाओं के सेक्स स्कैंडल आए दिन उजागर होते रहते हैं। 
 


दुनिया भर में बहुत से ईसाई चर्च यौन दुराचार करने के मामले में अव्वल हैं। पिछले कई वर्षों से रोमन कैथलिक धर्मगुरुओं पर आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में अमेरिका में कैथलिक ईसाई पादरियों के खिलाफ यौन दुराचार के सात सौ नए आरोप लगाए गए हैं। लाखों ज्योतिषियों की फौज है, जो मनगढ़ंत तरीके से भविष्य बताते हैं। अधिकतर हिंदुओं का जीवन तो ग्रह-नक्षत्र ही तय करते हैं- भगवान नहीं, ईश्वर नहीं। ग्रह-नक्षत्रों से डरने वालों की एक अलग ही जमात है, ये क्या भक्ति करेगी? ये नए तरीके से समाज को दूषित करेंगे। 

 


Navdeep navi


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