उचित जवाब

punjabkesari.in Wednesday, May 09, 2018 - 12:35 PM (IST)

‘ मैउम जी अर्पिता का स्कूल छोडऩे क प्रमाणपत्र चाहिए।’ अपना आवेदन-पत्र मैडम गुलाटी को देते हुए दीन दयाल ने कहा। ‘क्यों क्या बात हूई? अर्पिता से स्कूल क्यों छुडा रहे हो?’ प्रभारी मैडम गुलाटी ने हैरानी से पूछा। ‘बस मैडम जी! इसका छोटा भाई प्राईवेट स्कूल में पढ़ रहा है,सोचता हूँ दोनें एक साथ ही स्कूल चले जाएंगे। और वहां की पढ़ाई भी अच्छी है।’ दीन दयाल की अच्छी पढ़ाई की बात सुन कर मैडम गुलाटी को थोड़ा धक्का सा लगा। गुस्से के मूड में वह बोली- ‘ख़ाक अच्छी है पढ़ाई,बारवीं पास लड़कियों ने भला हमारे से क्या अच्छा पढ़ा लेना है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले सभी अध्यापक उच्च योग्यता प्राप्त होते हैं। पहले जैसी बात बिलकुल नहीं रही,अब सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चों की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है।’ मैडम गुलाटी बातों ही बातों में सरकारी स्कूलों का पक्ष ले रही थी।

 

‘मैडम जी एक बात पूछें क्या?’
‘हां पूछो।’
‘आपके कितने बच्चे हैं?’
‘दो।’
‘वह कहां पढ़ रहें है?’
‘डी ए वी पब्लिक स्कूल में।’
‘यह सरकारी स्कूल है क्या?’
‘नहीं, पर तुम क्यों पूछ रहे हो?’
‘अभी तो आप बोल रहे थे कि सरकारी स्कूल की पढ़ाई बहुत अच्छी है।’
‘वो तो मैं अब भी बोल रहीं हूँ।’
‘अगर इतनी अच्छी है तो आपके बच्चे सरकारी स्कूल में क्यों नहीं पढ़ रहे?’
दीन दयाल के इस सवाल का मैडम गुलाटी के पास कोई उचित जवाब नहीं था।

 

रमेश बग्गा चोहला

9463132719


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