कभी गुजरी हकीकत कहता हूं..

punjabkesari.in Thursday, Dec 27, 2018 - 11:25 AM (IST)

कभी गुजरी हकीकत कहता हूं,
कभी ख्वाब सुहाना लिखता हूं,
दिल मेरा गवाही दे जिसकी
अक्सर वो किस्सा लिखता हूं।
इस दौर-ए-हुकूमत में भी मैं,
दम भरता हूं आजादी का,
करता हूं बगावत की बातें,
जाहिर है कड़वा लिखता हूं।
कुछ लोग जो दर्द मेरा जाने,
कहते हैं सच ही कहता हूं,
कुछ लोग मगर ये कहते हैं,
न जाने क्या क्या लिखता हूं।
लिखने का हुनर नहीं मुझमें,
न बहर को खूब समझता हूं,
हूं लफ्जो का मोहताज मगर,
जो लिख पाऊं हां लिखता हूं,
करतें हैं हिमायत जो सच की,
अकसर पीकर सच कहते हैं,
इस बाबत थोड़ा उल्टा हूं,
बिन पिए ही सीधा लिखता हूं।

रोहित गुप्ता..


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