पर्यावरण संरक्षण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करें
punjabkesari.in Monday, Jun 04, 2018 - 02:02 PM (IST)

मनुष्य तथा पर्यावरण दोनों परस्पर एक दूसरे के इतने संबंधित है कि उन्हें अलग करना कठिन हैl जिस दिन पर्यावरण का अस्तित्व मिट गया उस दिन मानव जाति का अस्तित्व ही मिट जाएगा यह आधारभूत सत्य हैl पर्यावरण को बचाने के लिए जागरूकता, सजगता तथा अपने दायित्वों का पूर्ण इमानदारी से हर इंसान को निर्वाहन करना होगाl पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु 1972 में संयुक्त राष्ट्र ने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की घोषणा की थीl तब से लेकर "विश्व पर्यावरण दिवस" पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु संपूर्ण विश्व में बनाया जाता हैl इस दिन पर्यावरण के प्रति लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करके ज्वलंत मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाता हैl आज पर्यावरण पूरे विश्व में एक गंभीर मुद्दा बन गया है प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से युक्त वातावरण में सकारात्मक बदलाव लाने की आवश्यकता है l
आज वायु प्रदूषण, जल व मिट्टी प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, तापीय, रेडियोधर्मी, नगरीय प्रदूषण,नदियों व नालों में प्रदूषण की मात्रा का बढ़ना और जलवायु पर ग्लोबल वार्मिंग जैसे खतरे लगातार दस्तक दे रहेl सुनामी चक्रवात बाढ,सुखा, भूकंप आगजनी और अकाल मृत्यु की घटनाएं बढ़ती जा रही हैl इनके पीछे का प्रमुख कारण पर्यावरण को क्षति पहुंचाना है l इन्हीं खतरों से अवगत करवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस 2018 के लिए प्लास्टिक प्रदूषण को पराजित करो शीर्षक निर्धारित किया गया हैl प्लास्टिक से ही पर्यावरण को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचती हैl मानव तो प्लास्टिक का उपयोग एक बार करता है और उसके बाद जैसे ही यह प्लास्टिक पर्यावरण में जाता है तो वह बहुत लंबे समय तक बना रहता है l प्लास्टिक के दुष्प्रभाव का एहसास हिमाचल जैसे छोटे पहाड़ी प्रदेश को काफी पहले ही हो चुका था 1 जनवरी 1999 को हिमाचल प्रदेश में रंगीन पॉलिथीन बैग के उपयोग पर रोक लगाई गईl
इसके बाद वर्ष 2003 में हिमाचल प्रदेश प्लास्टिक को बैन करने वाला भारत का पहला राज्य बनाl वर्ष 2004 में 70 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक बैगों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गयाl सरकार ने जुलाई 2013 से राज्य में पॉलीथिन में बंद खाद्य पदार्थों और अन्य सामान की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया हैl हिमाचल प्रदेश पॉलीथिन से धरती को बचाने के लिए एक अग्रणीय भूमिका निभा रहा हैl उपरोक्त अभियानों के अतिरिक्त भी प्रदेश सरकार ने संतुलित आर्थिक एवं पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित बनाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैंl प्रदेश सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों को पुरस्कृत करने की योजना भी बनाई गई है l प्रदेश में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन कार्यक्रम के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा भूमि वन लगाने के लिए सरकार द्वारा ब्यास नदी बेसिन में स्थित 1200 पंचायतों के करीब 7000 गांवों में जलवायु परिवर्तन की संवेदनशीलता का आकलन किया हैl
हिमाचल भले ही भारत के मानचित्र पर एक छोटा सा राज्य है परंतु यह पहाड़ी राज्य देश के पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा हैl प्रदेश में 1986 से ही हरे पेड़ों के कटान पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया थाl जिसके परिणाम स्वरुप प्रदेश में निरंतर वनों में वृद्धि दर्ज की गई है इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 13 वर्ग किलोमीटर की वन क्षेत्र वृद्धि दर्ज की गई है l हिमाचल को प्रकृति ने अपार प्राकृतिक उपहार भेंट किए हैं जनमानस को भी इसका सरंक्षण के लिए उत्सुकता दिखानी होगी l पर्यावरण के क्षेत्र में प्रदेश सरकार बेहतरीन कार्य कर रही है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है हाल ही में शिमला जल संकट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाहाकार मचाया था इसके साथ-साथ प्रदेश के अन्य भागों में भी पानी की कमी देखने को मिलीl इस वर्ष हिमाचल के जंगल बहुत बुरी तरह से जले तथा समाचार पत्रों में किसी न किसी जंगल के जलने की खबर सुर्खियों में रही यहां तक कि एक वन अधिकारी की मृत्यु का समाचार भी मिलाl हिमाचल प्रदेश जो प्लास्टिक संरक्षण में अच्छा कार्य कर रहा है यदि दोनों को इसी तरह से जलाता रहा तो क्या हम वास्तव में पर्यावरण को बचा पाएंगे आज हर जनमानस के समक्ष सबसे बड़ी समस्या यही हैl
इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए पर्यावरण का संरक्षण बहुत जरूरी हैl इन परिस्थितियों से निपटने के लिए आज हम सबको कड़ा संकल्प लेना होगा तथा पेड़ पौधों को नुकसान न पहुंचाने की अपनी जिम्मेदारी भी सुनिश्चित करनी होगीl हालांकि भारत के अन्य राज्यों में हिमाचल प्रदेश पर्यावरण संरक्षण में एक अग्रणीय राज्य हैl लेकिन जिस तरह से प्रदेश में आपदाएं व मानव जन्नत समस्याएं उत्पन्न हो रही हैl उनका आकलन करें तो हिमाचल वासियों को अलर्ट होना पड़ेगाl हमारे देश और प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम जब भी किसी विशेष दिन को सेलिब्रेट करते हैं तो उसकी महक महक दो चार दिनों में ही फीकी पड़ जाती है चाहे नशा निवारण या दिवस पर्यावरण दिवस या जनसंख्या दिवस हो, हम उस दिन रैलियां निकालते हैं, जोर-जोर से नारे लगाते हैं,बड़े-बड़े बैनर, पोस्टों से लोगों को संदेश देते हैं, लेकिन अगले दो चार दिनों में सब कुछ पुनः शून्य हो जाता हैl शैक्षणिक संस्थानों में भी स्लोगन, निबंध, तथा बड़े-बड़े भाषण दिए जाते हैंl लेकिन वास्तव में इनका आचरण बहुत कम लोग करते हैंl यही हमारे देश व प्रदेश की सबसे बड़ी कमजोरी बनता जा रहा हैl जब तक इन दिवसों को बनाने की परंपरा हमारे दिल के अंदर नहीं समा जाएगीl तब तक हम उनके वास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाएंगेl
हमें युवा पीढ़ी को भी पर्यावरण संरक्षण तथा इसके महत्व से परिचित करवाना होगा तथा युवा वर्ग की दिनचर्या में पर्यावरण सरंक्षण की मुहिम को आदत में बदलना होगा ताकि हर रोज पर्यावरण व मिट्टी की महक को युवा समझ सके तथा इसके संरक्षण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंl इसके अतिरिक्त पेड़ों के कटने से हमारे पर्यावरण को बहुत क्षति पहुंचती हैl मुख्य तौर पर पेड़ों से बनने वाले कागजों की खब्त पर भी अंकुश लगाना होगाl भारत डिजिटल इंडिया की तरफ तीव्र गति से बढ़ रहा हैl हमें अपनी दिनचर्या में कागजों की अपेक्षा डिजिटल कार्यप्रणाली को भी अपनाना होगाl ताकि वृक्षों का कटाव कम हो सके तथा प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेंl हिमाचल प्रदेश सरकार ने किस वर्ष राज्य में वन महोत्सव के दौरान 15 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया है तथा "वन समृद्धि जन समृद्धि" व सामुदायिक वन संवर्धन योजना आरंभ की हैl आइए इन योजनाओं को सफल बनाने के लिए युवा वर्ग को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करें तथा प्रदेश के सभी नागरिकों तक यह संदेश पहुंच जाए कि वृक्षों को लगाने के साथ-साथ उनके रखरखाव का भी पूर्ण ध्यान रखें और हिमाचल वासी को इस पर्यावरण दिवस पर यह प्रण लेना चाहिए कि मैं अपने जीवन में वृक्ष लगाऊंगा तथा उनकी ताउम्र रक्षा करूंगाl ऐसी सोच पर दिनचर्या प्रदेश को शिखर की ओर ले जा सकती है l इस लेख के माध्यम से प्रदेश सरकार से गुजारिश रहेगी कि वे जंक फूड जैसे कुरकुरे,लेज टॉफियां तथा अन्य खाद्य सामग्री इत्यादि में होने वाले पॉलिथीन के इस्तेमाल को भी प्रतिबंधित करेंl
कर्म सिंह ठाकुर