ड्रग्स एडिक्शन

punjabkesari.in Monday, Apr 30, 2018 - 02:43 PM (IST)

बदलती हुई सामाजिक मान्यताएं, कुछ नया करने की चाहत, तरह-तरह के तनाव आदि तमाम ऐेसे कारण हैं, जिनकी वजह से समाज में नशे का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इसके श‍िकार में युवा वर्ग का प्रतिशत तेजी से बढ़ा है।  युवाओं में नशे की शुरूआत आमतौर से स्कूल के अंदर मीठी सुपारी और सादे मसाले से होती है, जो धीरे-धीरे तम्बाकू युक्त गुटखा और सिगरेट से होती हुई नशीली दवाओं तक जा पहुंचती है। साथियों के दबाव अथवा सामाजिक चक्रव्‍यूहों में फंसे बच्‍चे जब एक बार इनकी गिरफ्त में आ जाते हैं, तो उन्हें इस दलदल से निकालना बेहद दुष्कर हो जाता है। लेकिन यदि अभ‍िभावक बच्चों पर बराबर नजर रखें और उनकी गतिविध‍ियों का अध्ययन करते रहें, तो उनके व्यवहार और चाल-ढ़ाल को देखकर इस बीमारी को शुरू में ही पकड़ा जा सकता है।

 

नशीली दवाओं के प्रकार

नशे के लिए उपयोग लार्इ जाने वाली दवाएं 03 तरह की होती है। पहली अपर्स ('Uppers') कहलाती हैं। ये दवाएं नशेड़ी को ज़्यादा उर्जा और आत्मविश्वास का एहसास कराती हैं। कुछ सामान्य अपर्स हैं- कोकेन (Cocaine), एक्सटेसी (Ecstasy), स्पीड (Speed) और क्रेक कोकेन (Crack Cocaine)।  दूसरे प्रकार की नशीली दवाएं डाऊनर्स ('Downers') कहलाती हैं। इनको लेने वाला व्यक्ति खुद को शांत व तनावरहित महसूस करता है और उसे अत्यधि‍क नींद आती है। कुछ चर्चित डाउनर्स के नाम हैं- अल्कोहल (Alcohol), हशीश (Hashish), हेरोईन (Heroin) और क्युलेड्स (Quaaludes)। तीसरी श्रेणी की नशीली दवाएं हेल्युसिनोजन्स (Hallucinogens) हैं। इनका सेवन करने वाले को भ्रम का अहसास होता है या वो नींद की अवस्था में चले जाते है। हेल्युसिनेशन्स सुखद भी होते हैं और डरावने भी, लेकिन पहले से ये बात पता करना सम्भव नहीं होता है। कुछ चर्चित हेल्युसिनोजन्स हैं– एलएसडी (LSD), और मसकेलिन


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