एक बूंद पानी

Wednesday, Sep 04, 2019 - 04:26 PM (IST)

एक समय की बात है। गर्मी का मौसम था। जंगल में एक कौवा रहता था। वह जंगल में बहुत खुश था। 1 दिन अधिक गर्मी पड़ने के कारण कौवे को बहुत प्यास लग रही थी, परंतु उसे जंगल में कहीं भी पानी नहीं मिला।फिर पानी की तलाश में वे आकाश में उड़ गया परंतु उसे कहीं भी देखने तक को पानी नहीं मिला। वह थक कर एक गांव में पहुंचा, गांव बहुत ही विशाल था। उसे लगा के यहां तो पानी अवश्य मिलेगा। वह सभी घरों में जाकर देखने लगा तथा थक कर एक घर की छत की मुंडेर पर बैठ गया, उसने देखा कि एक औरत कमरे के दरवाजे से निकलकर बाल्टी लेकर नल की तरफ आ रही है।

 

उसने सोचा औरत जब बाल्टी लेकर कमरे में की तरफ जाएगी, तो बाल्टी में से पानी पी लूंगा, परंतु उसे ख्याल आया कि अगर बाल्टी में से पानी पिया तो औरत को लगेगा कि यह पानी तो झूठा हो चुका है तथा वह उसे फैंक देगी जिसके कारण जैसे मैं पानी के लिए इधर उधर भटक रहा हूं, वैसे ही इन्हें ना भटकना पड़े कौऐ ने बाल्टी भरने की प्रतीक्षा की और बाल्टी भरकर औरत कमरे की तरफ चल दी कौआ नीचे उतर कर नल से गिर रही बूंदों को पीकर उड़ गया इस तरह कोऐ ने इंसानियत का परिचय दिया। जब पक्षी ऐसा कर सकते हैं, तो हम क्यों नहीं कर सकते। हमें पानी को व्यर्थ नहीं बहाना चाहिए अगर हम पानी को व्यर्थ बनाएंगे तो हमें भी पानी की एक एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। इसलिए जल का सदुपयोग करें दुरुपयोग ना करें। जल है तो कल है।
पूनम

Seema Sharma

Advertising