रंग बोलते हैं

punjabkesari.in Wednesday, Sep 25, 2019 - 12:16 PM (IST)

रंग आपस में कैसे बात करते हैं॥
कवि इस बात को कुछ इस तरह से अपनी कविता मे वणित करता है ॥
कवि ने रंगों का बोलना अपनी कविता के जरिए बताया है

रंग जिदंगी के हमसफर है प्यारे,
बिना रंगों के बेरंग हैं नजारे।
हर रंग कुछ कहता है।
जिदंगी में, "सुनो कैसे बोलते हैं, रंग हमारे "

लाल रंग कहता है जिदंगी की शुरूआत हूं मैं,
हर रिश्ते की आस हूं मैं!


सफेद रंग ने कहा बेदाग दामन है हमारा!
सफेद रंग लगता है ,सबको प्यारा!


नीले रंग ने सफेद रगं से कहा क्यों?
इतना इतराते हो अपनी खूबसूरती के जलवे दिखाते हो,
जब निकले जनाजा तभी नज़र आता है सफेदी का नजारा!
तुम्हारे रंग को देखकर आता है रोना
यह रंग है, घिनौना!


हरे रंग ने कहा
अरे ! भाई हमारे बिना जीवन में हरियाली आती है कहां
खेतों में हर तरफ नजर आता है, रंग हमारा!
हरी-भरी धरती में खिले कई मैदान हैं!
हमारे बिना सब कुछ जलता रेगिसतान है!


यह सुनकर आसमानी रंग बोला
आसमान में खिला हूं मैं,
तारों से मिला हूं मैं!
मस्त हूं मैं अपने रंग में
चांद और तारों के संग में
प्रेरणा


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Seema Sharma

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