चाइनीज समान

Saturday, Apr 28, 2018 - 03:40 PM (IST)

चाइनीज समान जैसे भारत मे तेजी से फैलता अशुभ दायक चाइनीज वास्तु (फेंगसुई) भारतीय संस्कृति बहुत विलक्षण है। इसके सभी सिद्धांत पूर्णतः वैज्ञानिक हैं और उनका एकमात्र उद्देश्य मनुष्यमात्र का कल्याण करना है। मनुष्य मात्र का सुगमता से कल्याण कैसे हो- इसका जितना गंभीर विचार भारतीय संस्कृति में किया गया है,उतना अन्यत्र नहीं मिलता। जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त मनुष्य जिन -जिन वस्तुओं एवं व्यक्तियों के सम्पर्क में आता है और जो जो क्रियाएँ करता है, उन सबको हमारे क्रान्तदर्शी ऋषि- मुनियों ने बड़े वैज्ञानिक ढंग से सुनियोजित, मर्यादित एवं सुसंस्कृत किया है और उन सबका पर्यवसान परम श्रेय की प्राप्ति में किया है। इतना ही नहीं, मनुष्य अपने निवास के लिए भवन- निर्माण करता है तो उसको भी वास्तु शास्त्र के द्वारा मर्यादित किया गया है! 

 

वास्तु शास्त्र का उद्देश्य भी मनुष्य को कल्याण मार्ग में लाना है। परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि जिस प्रकार देश में चीनी समान तेजी से फैल गया है उसी प्रकार भारतीय वास्तु मे पिछले दस पन्द्रह सालो में चीन का वास्तुशास्त्र फेंग शुई का प्रचलन बहुत अधिक बढ़ गया है | जिसमें प्रमुख रूप से कछुआ, बांस, लाफिंग बुद्धा, ड्रैगन मूर्ति,ड्रैगन डाल, तीन टाँग का मेढक, छिपकली आदि को घर पर रखने का प्रचलन तेजी से फैलकर हर घर में दिखाई देने लगा है। जो एकदम शास्त्र विरुद्ध है। जिसका प्रमाण हमारे शास्त्रों में कहीं भी नहीं प्राप्त होता। जिसका परिणाम गलत होता है। हमारे वास्तु शास्त्र मे भवन की आंतरिक सज्जा में युद्ध एवं दुर्घटनाओं के चित्र, पत्थर एवं लकड़ी से बनी शेर, चीता, सूअर, सियार, सर्प, उल्लू, कबूतर, कौआ, बाज, तथा बगुले की मूर्ति रखना शुभ नहीं माना जाता। 

 

देवताओं की मूर्ति पूजाघर में एवं ध्यान के लिए रखना उचित है, सजावट के लिए नहीं। ऐसे में चीनी वास्तु का लाफिंग बुद्धा, तीन टाँग का मेढक, छिपकली,कछुआ आदि रखना पूर्णतः अशुभता का सूचक है। इनके घर में होने पर सुख समृद्धि आने के बजाए घर से चली जाती है। घर में रहने वाले लोगों पर बुरा प्रभाव डालता है। घर हो या ऑफिस इन सब के होने पर इनका असर आपके भविष्य पर पड़ सकता है। वहीं इससे आपके कारोबार पर भी असर पड़ता है। शास्त्र आपकी तभी सहायता करता है जब आप शास्त्र सम्मत चलेंगे। इंजीनियर का काम केवल सुंदर एवं आकर्षण युक्त घर बनाना है। परन्तु वास्तु शास्त्र के अनुसार बना घर सुन्दर, मजबूत , स्वच्छ होते हुए उसमें रहने वाला व्यक्ति सुख समृद्धि को प्राप्त करता है। इष्ट की प्राप्ति अनिष्ट का अपरिहार्य बताना ही वेद का कार्य है। 

 

ब्रह्मा की परम्परा से उत्पन्न स्थपति घर निर्माण में योजना बनाते हैं। सूत्रग्राही घर का नक्शा बनाते हैं। बार्धकि चित्रकला का निर्माण करते हैं। तक्षक का संबंध तक्षण कला से है। वास्तु शास्त्र के पौराणिक देवता ब्रह्मा, विष्णु, शिव हैं। शयन कक्ष में किसी भी देवता, पशु पक्षी इत्यादि की तस्वीर लगाना अशुभता का सूचक है। शयन कक्ष में केवल स्वर्गीय माता पिता की तस्वीर दक्षिण की दीवार में लगा सकते हैं। लेकिन चाइनीज फेंगशुई की चीजें भूलकर भी घर पर ना रखें। फेंग शुई की चीजे घर में नकारात्मक उर्जा लाती हैं। वास्तु शास्त्र का मुख्य उद्देश्य है कि मानव समाज का प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर उसके जीवन की गतिविधियों के लिए प्राकृतिक शक्तियों का समुचित प्रबंध कर मानव मात्र को पर्याप्त सुविधा एवं सुरक्षा के साथ प्रगति और विकास के लक्ष्य पर ले जाना। लोगों को वास्तुदोषों का तभी ध्यान आता है, जब उनके परिवार में, व्यापार-रोजगार में या उद्योग धन्धे में लगातार समस्या एवं संकटों का सिलसिला चलने लगता है। आज बहुत कम लोग हैं, जो भवन निर्माण के समय वास्तु के नियमों का ध्यान रखते हैं।

 

ज्योतिषाचार्य पं गणेश प्रसाद 

9454953720

Punjab Kesari

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