बोद्ध धर्म के ग्रंथ
punjabkesari.in Saturday, Dec 23, 2017 - 02:30 PM (IST)

जिस समय भारत में वैदिक धर्म का बोलबाला था तो उस समय ही भारत में कुछ नवीन धार्मिक विचारधाराएँ भी उत्पन्न हो रही थी।कुछ विचारवान तो वैदिक धर्म से भी जुड़े रहना चाहते थे पर कुछ विचारधारक आज़ाद ढंग से जिन्दगी की समस्याओं का सुखद तथा सार्थक हल करना चाहते थे।इन विचारधाराओं में ही शामिल है एशिया के प्रकाश के नाम से जाने जाते महात्मा बुद्ध की विचारधारा।यह विचारधारा बुद्ध मत के नाम से पिछले 2500 सालों से चली आ रही है जो भिन्न-भिन्न बोद्धी ग्रन्थों में पढ़ने को मिलती है।बुद्ध धर्म के तीन प्रमुख ग्रन्थ है,जिन्हें त्रिपिटक कहा जाता है।
आमतौर पर पिटक शब्द टोकरी के लिए प्रयोग किया जाता है पर बोद्धियों की तरफ़ से इस का प्रयोग ग्रन्थ के भाग के लिए किया गया है।त्रिपिटक में निम्नलिखित तीन बोधि ग्रन्थ शामिल किये गए है। सुत्त पिटकः-यह बुद्ध धर्म का प्रथम ग्रन्थ है।प्रथम होने के कारण बोधि भाईचारे में इस ग्रंथ का बहुत महत्वपूर्ण स्थान हैं।बुद्ध धर्म के दूसरे ग्रन्थों में इस ग्रंथ की सामग्री को ही आधार बनाया गया है।पाली भाषा में लिखे गये इस ग्रंथ में भिक्षुओं के नितनेम तथा संघ की मान-मर्यादा की व्याख्या की गई है।महात्मा बुद्ध की ज्ञान प्राप्ती के बाद के समय की कई धार्मिक तथा आध्यात्मिक घटनाएँ इस ग्रंथ में दर्ज हैं, जिस से धर्म की बौद्धिक फिलॉस्फी का प्रगटावा होता है।
इस के अतिरिक्त सुत्त पिटक ग्रंथ में महात्मा बुद्ध की जीवन यात्राएं भी विस्तृत रूप में वर्णित है,जिस में उस समय की सामाजिक ,धार्मिक,राजनीतिक तथा भूगोलिक स्थिति की भरपूर जानकारी मिलती हैं।इस ग्रंथ को पाँच निकायों (हिस्सों) में बांटा गया है। 1.दीग निकाय 2.मज्झिम निकाय 3.संयुत्त निकाय 4 अड्गुत्तर निकाय 5 ख्ुाद्दक निकाय खुद्दक निकायः-इस निकाय में 15 किताबें शामिल हैं,जिनमें बेर गाथा,धमपद तथा जातक कहानियों की चर्चित किताबें भी हैं।
”बोद्धी गीता” के नाम से जानी जाती ”धमपद“ बुद्ध धर्म की एक ऐसी महत्वपूर्ण तथा पवित्र पुस्तक है जिस में बोधियों के लिए धार्मिक तथा सदाचार नियमों का ब्याख्यान किया गया है।इस के 26 अध्याय है,जिनमें 423 गाथाएं दर्ज की गई है।बेर गाथा में भिक्षओं के रूहनी जीवन की कथाएं अकिंत की गई है,जिनकी सृजना बुद्ध के शार्गिदों द्वारा की गई मानी जाती है। जातक बुद्ध धर्म के पूर्वक या पूर्व जन्म से सम्बन्धित कहानियों का संग्रह है।इसमें कुल 547 कथाएं है,जिनमें अच्छे गुणों का वर्णन है।इन गुणों का धारणी होकर साधारण व्यक्ति भी सत्य का पथिक बन सकता है।यह पुस्तक आध्यात्मिक विकास के लिए मनुष्य जीवन का अंतिम उ६ेश्य प्राप्त करने के लिए प्रकाश डालती है।
विनय पिटकः-यह बुद्ध धर्म की विचारधारा का दूसरा बड़ा ग्रन्थ है,जिस में पहली दो संगीतिओं (महासभाओं) के बारे में ऐतिहासिक जानकारी हासिल होने के साथ-साथ संघ के नियमों की भी भरपूर जानाकारी मिलती है।पाली भाषा में लिखे गए इस ग्रन्थ में नियमों की व्याख्या का आधार महात्मा बुद्ध के उपदेश तथा आदर्श को बनाया गया है।इस ग्रन्थ मे चार पुस्तके शामिल हैः- पातीमोखः-इस पुस्तक को विनय पिटक का सार माना जाता है।इस में ऐसे पवित्र वचन तथा सदाचारक नियम है जो साधक की मुक्ति का सबब बन सकते हैं।इस पुस्तक के दो भाग किए गए है,जिन्हें भिक्षु विभंग तथा भिक्षुनी विभंग का नाम दिया गया है।इन भागों में भिक्षुओं के पहरावे,दवाईयां तथा सदाचारी नियम दर्ज किए गए है।
महावगः-इस किताब के 10 सकंद है,जिनमें भिक्षुओं द्वारा अपनाई जाने वाली रोज़मर्रा की जीवन-जॉच बारे विस्तारपूूर्वक वर्णन किया गया है।बरसात के मौसम में उन्होने किस तरह रहना है,कौनसी दवाईयों का प्रयोग करना है तथा कहीं आने-जाने के समय किस तरह का पहरावा पहना है इत्यादि। चुलवगः-यह पुस्तक भी विनय पिटक का ही भाग है,जिस के 12 सकंद है।इस पुस्तक में महात्मा बुद्ध के अैरतों को संघ में शामिल करने के फैसले की प्रौढ़ता की गई है। अभिधम्म पिटकः-पाली भाषा में ”धम” शब्द का अर्थ धर्म होता है क्योंकि इस भाषा में “र” शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता।इस तरह अभिधम्म का अर्थ अभिधर्म बनता है जिस का भाव है उच्चस्तरीय शिक्षाएं।
इन शिक्षाओं के लिए ग्रन्थ में सात पुस्तकों को शामिल किया गया है,जिनके नाम हैंः- धमसंगनी,विभंग,धातुकथा,पुगल-पणति,कथावथु,यमक तथा पठान। धमसंगनीः-इस पुस्तक का सम्बन्ध मनोविज्ञानक विषय से है जिससे हर पदार्थ को उसके स्वभाव मुताबिक समझने का प्रयास किया जाता है।इस में मन की अवस्थाओं के बारे में बड़ी विस्तृत जानकारी दी गई है। कथावथुः-बुद्ध की विचारधारा को व्यवस्थित रूप देने के लिए चार महासभाए का जिक्र आता है।तीसरी महसभा में जो विचार हुए,उस को कथावथु पुस्तक के पन्नों का श्रृंगार बनाया गया है।इस पुस्तक के 22 बाब है,जो बुद्ध धर्म की विचारधारा से ज्ञात कराते हैं। इन दो पुस्तकों के सिवा इस ग्रन्थ की अन्य पांच पुस्तकों में भी बुद्ध धर्म के बेशकीमती विचारों की जानकारी मिलती है। उपरोक्त चर्चा से हम इस नतीजे पर पहुंचते है कि महात्मा बुद्ध द्वारा चलाया गया बुद्ध धर्म अपनी निराली तथा विभन्न विचारधारा के कारण दुनिया के धर्मो में अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है तथा इस स्थान की स्थपति के लिए इस धर्म के ग्रन्थों का अहम योगदान है।
रमेश बग्गा चोहला
09463132719