बड़े घर छोटे दिल

punjabkesari.in Monday, Jul 16, 2018 - 04:14 PM (IST)

थे छोटे घर में बड़े दिल,
है आज बड़े घर में छोटे दिल !
 
रह लेती थी तीन पीड़ियाँ उस छोटे से घर में,
नहीं जगह है माँ बाप की आज इस बड़े घर में!
 
अमीर हो गए है पैसों से,
गरीब हो गए है संस्कारो से!

छोटे से टीवी के सामने पाते थे गांव पूरा,
आज बड़े टीवी के आगे भी नहीं पाते परिवार पूरा!
 
अलग अलग कमरे में बैठे सब,
देख रहे अकेले अपना टीवी सब!
 
बैलगाड़ी में समा जाते थे कितने लोग,
आज बड़ी से बड़ी गाड़ी में मिलते सिर्फ दो लोग!

घंटो करते थे सुख दुःख की ढेरों बातें,
सिर्फ गुड मॉर्निंग और गुड नाईट में बदल गयी है आज वो बातें!
 
कहाँ गया वो जमाना,
जब साथ में मिलकर खाते थे खाना,
घर में था सबका आना जाना!
 
अपनी ज़िन्दगी में आज कोई दखल नहीं चाहता,
किसी को मिलने से पहले फ़ोन करके ही जाता!
 
मिट्टी के घर में था मिट्टी सा दिल,
जो बह जाता किसी के भी आंसुओं में,
अब पत्थर के घर में पत्थर का दिल,
जो नहीं टूटता किसी के भी आंसुओं से!
 
इस भागदौड़ की दुनिया में,
अपनापन हार चूका है,
स्वार्थ पहले पायदान पर आ चूका है!
 
थे छोटे घर में बड़े दिल,
है आज बड़े घर में छोटे दिल !

> - श्रुति


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