ऐ ज़िन्दगी !
Sunday, May 13, 2018 - 02:41 PM (IST)
एे ज़िन्दगी आ जी लूँ तुझे जी भर के
होंसलों की उडान से उड़ जाऊँ नीले गगन में ..
ख्वाहिशों के बोझ तले क्या जीना
और भी बहुत कुछ है ज़िन्दगी के इस सफर में ..
अक्सर किनारे तक आते आते रह जाती है कश्ती
आखिर माँझी को भी पता है अंत डूब जाने का सबब
शुरू से अंत तक चलेगी संघर्श की कश्ती
तो क्यूँ ना जीऊँ इन्ही पलों को
बताओ क्यूँ रह जाऊँ ख्वाहिशों की अकड़ में ..
एे ज़िन्दगी आ जी लूँ तुझे जी भर के
होंसलों की उडान से उड़ जाऊँ नीले गगन में