जनहित याचिका: दोषी करार दिए गए नेताओं को नहीं मिले राजनीतिक दल में अहम पद

punjabkesari.in Thursday, Mar 22, 2018 - 05:51 AM (IST)

नेशनल डेस्क: एक बार फिर दोषी करार दिए गए नेताओं को राजनीतिक दलों में अहम पद दिए जाने का विरोध किया गया है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर ऐसे नेताओं पर रोक लगाने की मांग की गई है। हालांकि केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल के खिलाफ राय व्यक्त की है। केंद्र का कहना है कि मौजूदा कानून में संशोधन के लिए कोर्ट की ओर से सरकार को बाध्य नहीं किया जा सकता।

केंद्र सरकार का तर्क
केंद्र के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट विधायिका को निर्देश जारी नहीं कर सकता। केंद्र का ये भी कहना है कि चुनाव आयोग के पास ऐसी शक्तियां नहीं है कि वो ऐसी किसी पार्टी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दे जिसके प्रमुख दोषी साबित हो चुके राजनेता हैं। यह भी ​तर्क दिया जा रहा है कि चुनाव सुधार लंबी और जटिल प्रक्रिया है।ऐसे में किसी भी संशोधन को लाने से पहले विधि आयोग की सिफारिश की जरूरत होती है। राजनीतिक दलों में पदाधिकारियों का चुने जाना उनके स्वायत्तता के अधिकार का हिस्सा है।

सुप्रीम कोर्ट है खिलाफ
एक तरफ केंद्र इस व्यवस्था को सिरे से नकार रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट पहले कह चुका है कि किसी अपराधी या भ्रष्ट व्यक्ति को किसी राजनीतिक दल की अगुआई करने देना लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांत के खिलाफ है। ऐसे ही व्यक्ति के पास चुनाव के लिए उम्मीदवारों को चुनने की शक्ति होती है।

लालू व शशिकला पर पड़ेगा असर 
एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में मांग की गई है कि दोषी करार दिए जा चुके लोगों की ओर से राजनीतिक दलों के गठन पर रोक लगाई जानी चाहिए। इससे तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की सहयोगी रह चुकीं शशिकला जैसे नेता पर असर पड़ेगा। इतना ही नहीं चारा घोटाले में दोषी करार लालू यादव भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश उठा चुके हैं सवाल
भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने दोषसिद्ध लोगों के राजनीतिक दलों के प्रमुख होने के औचित्य पर सवाल उठाया था. उनका सवाल था, ‘कैसे एक दोषी साबित हो चुका व्यक्ति किसी राजनीतिक दल का पदाधिकारी हो सकता है और चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों का चयन कर सकता है?


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Punjab Kesari

Recommended News

Related News