सितम्बर 2017 की तिमाही में नौकरियों की बहार

punjabkesari.in Wednesday, Mar 14, 2018 - 05:26 AM (IST)

नई दिल्ली: देश में ऑर्गेनाइज्ड सैक्टर के कुछ हिस्सों में रोजगार उपलब्ध कराने की रफ्तार बढ़ी है। लेबर ब्यूरो की ओर से जारी 7वें तिमाही रोजगार सर्वे डाटा के अनुसार 2017 की जुलाई-सितम्बर तिमाही में 7 सैक्टर्स में 1.36 लाख नौकरियां पैदा हुईं यानी कि इस दौरान रोजगार की बहार रही। 

यह आंकड़ा इससे पिछली तिमाही के मुकाबले दोगुने से अधिक और एक वर्ष पहले की तुलना में चार गुना से ज्यादा है। ये आंकड़े 2013-14 की आर्थिक गणना पर आधारित हैं और इनमें 2014 के बाद बनी फर्में शामिल नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अप्रैल से जून के दौरान 64,000 नए रोजगार पैदा हुए थे जबकि 2016 की सितम्बर तिमाही में यह संख्या 32,000 थी। ब्यूरो 8 क्षेत्रों विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य, होटल एवं रैस्टोरैंट तथा सूचना प्रौद्योगिकी में प्रतिष्ठान आधारित रोजगार सर्वेक्षण करता है। इसमें देशभर के 81 प्रतिशत ऐसे प्रतिष्ठान शामिल हैं जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 है।

सितम्बर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार के 89,000 अवसर पैदा हुए जबकि जून तिमाही में 87,000 नौकरियां चली गई थीं। इससे पहले 2016 में सितम्बर तिमाही में 24,000 नौकरियां पैदा हुई थीं लेकिन सितम्बर तिमाही में निर्माण क्षेत्र में 22,000 नौकरियां चली गईं जबकि जून तिमाही में 10,000 नौकरियों का सृजन हुआ था। पिछले साल सितम्बर तिमाही में इस क्षेत्र में 1,000 नौकरियां चली गई थीं। श्रम मंत्रालय में वरिष्ठ श्रम एवं रोजगार सलाहकार बी.एन. नंदा ने कहा कि निर्माण क्षेत्र में नई नौकरियों के सृजन में कमी के मौसमी कारण हैं। आंकड़ों के मुताबिक सितम्बर तिमाही में होटल एवं रैस्टोरैंट, सूचना प्रौद्योगिकी तथा बी.पी.ओ. क्षेत्र, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी रोजगार सृजन में कमी आई। शिक्षा क्षेत्र में केवल 21ए,000 नौकरियां पैदा हुईं जबकि जून तिमाही में यह संख्या 99,000 थी। इसी तरह स्वास्थ्य क्षेत्र में 11,000 नौकरियां पैदा हुईं। 

चायवाला, पकौड़ेवाला, ठेलेवाला सबका हिसाब करेगी सरकार
देश में नई नौकरियां जुटाने के स्कोप को बढ़ाते हुए सरकार बहुत बड़ा कदम उठाने जा रही है। मोदी सरकार ने तय किया है कि अब असंगठित क्षेत्र में पैदा होने वाली नौकरियों की गिनती भी की जाएगी। सरकार ने लेबर ब्यूरो से कहा कि वह ऐसी दुकानों व अन्य धंधों में पैदा हुई नौकरियों की गिनती करे जहां 10 से भी कम लोग काम करते हैं। यानी कि पकौड़े से लेकर चाय बेचने वाले तक की गिनती होगी। भले ही उस दुकान को केवल एक ही शख्स चला रहा हो। सरकार की मंशा ये है कि अगर किसी ने समोसे बेचने का काम भी शुरू किया है तो उसे रोजगार की गिनती में डाला जाए। इस तरह से जो डाटा जुटाया जाएगा उसे इस साल के अंत या फिर 2019 की पहली छमाही में जारी कर दिया जाएगा। 

नियुक्ति योजनाओं में भारतीय कंपनियां 8वें स्थान पर
 भारतीय कंपनियां इस साल अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान अपने यहां नियुक्तियों की संभावना के संदर्भ में वैश्विक स्तर पर सबसे आशावान कंपनियों में 8वें स्थान पर हैं। एक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई है।  मानव संसाधन कंपनी मैनपावर ग्रुप के एक सर्वेक्षण के अनुसार क्रोएशिया इस सूची में शीर्ष पर रहा है। इस सर्वे के अनुसार भारत में 16 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि वे अगली तिमाही में नई नियुक्तियां कर सकती हैं। इस सर्वेक्षण के लिए 43 देशों की 58,000 कंपनियों का साक्षात्कार किया गया। क्रोएशिया को इसमें पहली बार शामिल किया गया। मैनपावर ग्रुप इंडिया के प्रबंध निदेशक ए.जी. राव ने कहा, ‘‘भारत में नौकरी तलाश रहे लोगों को अप्रैल-जून के दौरान सकारात्मक श्रम बाजार का फायदा मिलने का अनुमान है। आने वाले समय में प्रौद्योगिकी श्रम बाजार की रूपरेखा को बदल देगी और लोगों को नौकरी में बने रहने के लिए नए कौशल अपनाने की जरूरत होगी।’’     


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