मेरा वो मतलब नहीं था... कन्फ्यूजन में बर्बाद रिश्ते

punjabkesari.in Thursday, May 19, 2016 - 09:10 AM (IST)

चंडीगढ़, (एकता श्रेष्ठ): डर-डरकर दिल की बात कहना। बात-बात पर सफाई देना मेरा वो मतलब नहीं था। कुछ ऐसे ही कन्फ्यूजन से बर्बाद हुए रिश्तों की कहानी जीवंत हुई बुधवार शाम टैगोर थिएटर के मंच पर। एक्टर अनुपम खेर, नीना गुप्ता और राकेश बेदी अभिनीत नाटक  ''मेरा वो मतलब नहीं था'' में लोगों ने तीनों का दमदार अभिनय दिखा। तीनों कलाकारों ने चंडीगढ़ के थिएटर लवर्स को नाराज भी नहीं किया। वैसे भी जहां ये तीनों मंझे हुए कलाकार एक साथ स्टेज पर हों और नाटक की कहानी दो प्रेमियों के बिछुड़ने और 35 साल बाद फिर से मिलने की हो तो दर्शकों को उम्दा अभिनय देखने को मिलना ही था। उम्दा दर्जे के थिएटर आर्टिस्ट राकेश बेदी की बीच-बीच में कॉमेडी ने दर्शकों को गंभीर होने के अलावा हंसने का भी खूब मौका दिया।
 
रिश्तों पर आधारित इस नाटक की कहानी की शुरुआत होती है एक ऐसे प्रेमी जोड़े प्रीतम (अनुपम खेर) और हेमा रॉय (नीना गुप्ता) से जो बिना किसी कारण बिना एक दूसरे से बिना कुछ कहे अलग हो जाते हैं। करीब 35 साल बाद एक बार फिर दोनों की मुलाकात होती है। साढ़े 3 दशक लंबी जुदाई में दोनों अलगाव की वजह ही नहीं समझ पाए। 35 साल बाद एकाएक हुई मुलाकात में भी फोकस यही ढूंढने पर रहा कि आखिर गलती किसकी थी? दिल की बात समझाने में आखिर कौन नाकाम रहा? लेकिन वजह कुछ होती तो समझ में आती। ऐसे में अधूरा रिश्ता एक बार फिर दो राहों पर बंट गया।
 
बुढ़ापे में हुई मुलाकात के दौरान भी दोनों के मन में कई सवाल, गलतफहमियां हैं, जो दूर नहीं हुए। हां, समय की संदूक खुलने के साथ ही कभी हंसी, कभी गुस्सा तो कभी दर्द और सदमे के भाव मंच के साथ-साथ पूरे हॉल में बिखरते रहे। कभी लगता गलतफहमियों की धूल हट रही है, तो कभी लगता इस रिश्ते का वजूद ही नहीं। लेकिन 35 साल पुराने प्रेम का बीज एक बार अंकुरित होने के बावजूद रिश्ता अधूरा ही रहा। अंत में जब हेमा अपनी बेटी के पास लंदन जाने लगती है तो प्रीतम अलविदा कहता है। साथ ही ट्रैवल एजैंट को कहता है कि उसके साथ वाली सीट बुक कर देना। 
 
अनुपम खेर और नीना गुप्ता ने बेहतरीन अदाकारी के साथ दो उम्रदराज प्रेमियों के मनोभाव जीवंत किए। बीच-बीच में राकेश बेदी ने भी माहौल को हल्का बनाकर वाहवाही लूटी। डिर्पाटमैंट ऑफ कल्चरल अफेयर्स और टैगोर थिएटर सोसायटी द्वारा आयोजित इस नाटक का लेखन और निर्देशन राकेश बेदी ने ही किया था। थिएटर में सांसद किरण खेर, एडवाइजर परिमल रॉय और गृह सचिव अनुराग अग्रवाल भी मौजूद रहे। मंहगी टिकटें होने के बावजूद शो हाऊसफुल रहा। शो से 3 दिन पहले ही सभी टिकटें बिक चुकी थीं।

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