बिना मंजूरी के ही खोद डाला ईको सैंसटिव जोन में पिंजौर बाईपास, पर्यावरण मंत्रालय ने उठाए सवाल

punjabkesari.in Tuesday, Dec 12, 2017 - 08:43 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार/विजय गौड़) : पिंजौर बाईपास के लिए पी.डब्ल्यू.डी. हरियाणा ने सुखोमाजरी में जिन पहाडिय़ों को खोद डाला है, उसके लिए पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी ही नहीं ली। सुखोमाजरी के जिस हिस्से में इस सड़क का निर्माण किया जा रहा है, वह सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के ईको सैंसटिव जोन के तहत आता है। यहां निर्माण कार्य से पहले नैशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ से अनुमति लेनी अनिवार्य है। बावजूद इसके पी.डब्ल्यू.डी. हरियाणा ने मंजूरी से पहले ही कई पहाडिय़ों को जे.सी.बी. मशीन लगाकर पूरी तरह समतल कर दिया है। 

 

नियम अनुसार बिना मंजूरी के निर्माण कार्य करने पर एन्वायरनमैंट प्रोटैक्शन एक्ट के तहत मामला दर्ज करने का प्रावधान है लेकिन हैरत की बात यह है कि इस उल्लंघन पर किसी भी अधिकारी या विभाग के खिलाफ उल्लंघन का मामला तक दर्ज नहीं किया गया। अलबत्ता, उल्लंघन की बात को छिपाकर आनन-फानन में यह मामला स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के पास भेज दिया गया, जहां से मंजूरी के बाद इसे नैशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के पास अप्रूवल के लिए भेज दिया गया है।

 

केंद्र सरकार के आदेश :
सुखोमाजरी गांव सहित आसपास 10 किलोमीटर का दायरा ईको सैंसटिव जोन के दायरे में आता है। ऐसा इसलिए है कि हरियाणा सरकार ने अपने क्षेत्र में सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी के ईको सैंसटिव जोन की घोषणा नहीं की है। दरअसल, सुखना वाइल्ड लाइफ सैंक्चुरी की हद हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ से सटी हुई हैं। 

 

चंडीगढ़ प्रशासन ने अपने हिस्से वाले क्षेत्र में करीब 2.5 किलोमीटर के ईको सैंसटिव जोन की घोषणा कर दी लेकिन पंजाब और हरियाणा ने अब तक ईको सैंसटिव जोन घोषित नहीं किया है। इसलिए केंद्र सरकार के आदेशानुसार जिन राज्यों ने अभी तक सैंक्चुरी के ईको सैंसटिव जोन की घोषणा नहीं की है, उन सैंक्चुरी के आसपास 10 किलोमीटर का दायरा ईको सैंसटिव जोन कहलाता है। इसलिए इस क्षेत्र के तहत निर्माण कार्य से पहले नैशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ से मंजूरी अनिवार्य है।

 

मुख्यमंत्री हैं स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के चेयरमैन :
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद स्टेट बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के चेयरमैन हैं और बैठक में पब्लिक वक्र्स (बी.एंड.आर.) डिपार्टमैंट के एडिमिनस्ट्रेटिव सैके्रटरी सदस्य के तौर पर शामिल होते हैं। बावजूद इसके पिछले दिनों बैठक में किसी अधिकारी ने सरेआम उल्लंघन का मामला तक नहीं उठाया। 

 

हालत तब है जब पंचकूला में डिवीजनल फॉरैस्ट ऑफिसर सहित वाइल्ड लाइफ ऑफिसर तैनात हैं। इनके अधीन वन गार्ड, ब्लॉक अफसर इस पूरे क्षेत्र की निगरानी करते हैं। वाइल्ड लाइफ ऑफिसर शिव कुमार की मानें तो वरिष्ठ अधिकारी को अभी तक कोई वॉयलेशन रिपोर्ट नहीं की है क्योंकि मामला सीधे उनके अधीन नहीं आता है।


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