कैमिस्ट मान रहे हैं खुद को डाक्टर, दे रहे हैं पेशैंट्स को दवा की प्रिसक्रिपशन

punjabkesari.in Wednesday, Sep 20, 2017 - 09:05 AM (IST)

चंडीगढ़(अर्चना) : नार्थ इंडिया की दवा दुकानों पर मुन्नाबाई एम.बी.बी.एस. काम कर रहे हैं। डाक्टरी की पढ़ाई किए बगैर ही कैमिस्ट खुद को डाक्टर मान रहे हैं। पी.जी.आई. की स्टडी ने खुलासा किया है कि दवा बेचने के साथ-साथ कैमिस्ट पेशैंट्स को मैडिसिन की प्रिसक्रिपशन भी दे रहे हैं। बुखार और सिर दर्द से लेकर जोड़ों के दर्द और डायबिटिस की दवा की मात्रा तक कैमिस्ट पेशैंट्स को बता रहे हैं। डाक्टर की फीस और अपने समय को बचाने के लिए पेशैंट्स ने भी कैमिस्ट को ही डाक्टर की उपाधि दे दी है। 

 

हैरत की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग यह सब देखकर भी चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि स्टडी की रिपोर्ट कहती है कि सैल्फ मेडिकेशन की वजह से पेशैंट्स पर दवाओं का असर खत्म होने लगा है। एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध सेवन बैक्टीरिया और वायरस के लिए वरदान साबित हो रहा है, जबकि पेन किलर, हाई ब्लड प्रैशर और बुखार की गोलियां पेशैंट्स की किडनी और लीवर की हैल्थ बिगाड़ रही हैं।

 

स्टडी में यह तथ्य भी उजागर किए हैं कि सैल्फ मेडिकेशन का यह बुखार अनपढ़ लोगों में नहीं बल्कि पढ़े-लिखे लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है। स्टडी की मानें तो चक्कर आने, छाती में दर्द होने, दिमागी परेशानी, पेट दर्द, सांस लेेने में तकलीफ, कंधे में दर्द, शुगर, हाईपरटेंशन, ज्वाइंट पेन, पीठ दर्द और कमजोरी आने पर 98 प्रतिशत पेशैंट्स डाक्टर के पास जाने की बजाए कैमिस्ट से एलोपैथिक दवाओं का नाम पूछकर खुद का इलाज कर रहे हैं।

 

स्टडी ने 66.6 प्रतिशत ऐसे पेशैंट्स का खुलासा भी किया है जो सिर दर्द और बुखार जैसी हल्की तकलीफों में डाक्टर के पास जाना पसंद नहीं करते और 64.7 प्रतिशत तो खुद ही पुराने बुखार और सिर दर्द के अनुभवों को ध्यान में रखकर दवाओं की खरीददारी कर रहे हैं। इनमें 58 प्रतिशत लोग बुखार, 43 प्रतिशत पेशैंट्स इंफैक्शन को दूर करने के लिए सैल्फ मेडिकेशन ले रहे हैं। स्टडी में सिर्फ 38.7 प्रतिशत ऐसे पेशैंट मिले जो मानते हैं कि सैल्फ मेडिकेशन उनके स्वास्थ्य को बिगाड़ सकता है। 

 

पेशैंट्स दवा खरीदते हुए अपनाते हैं यह तरीके :
शोधकर्ता डॉ.हरलीन अरोड़ा का कहना है कि स्टडी में देखा गया है कि पेशैंट्स दवा खरीदने से पहले कई तरह के तरीके अपनाते हैं। 83.5 प्रतिशत पेशैंट्स अपनी बीमारी के लक्षण बताकर कैमिस्ट से दवा खरीद लेते हैं। 21 प्रतिशत डाक्टर की प्रिसक्रिपशन दिखाते हैं। 20.8 प्रतिशत पेशैंट्स दवा का नाम बताकर दवा खरीदते हैं। 16 प्रतिशत पेशैंट्स पुरानी बीमारी के अनुभवों और दवा के नाम के आधार पर दवा खरीद लेते हैं। 6 प्रतिशत पेशैंट्स ऐसे भी मिले जो दवा की पुरानी स्ट्रिप दिखाकर दवा खरीदते हैं।   

 

हानिकारक हो सकता है मनमर्जी से किया दवा का सेवन :
पी.जी.आई. स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ की डा. सोनू गोयल के अनुसार स्टडी रिपोर्ट कहती है कि लोगों को दवाओं की प्रिसक्रिपशन के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। दवाओं का अंधाधुंध सेवन शरीर पर दुष्प्रभाव डालता है, बहुत सी दवाएं कम और ज्यादा मात्रा में सेवन किए जाने की वजह से भविष्य में शरीर पर असर करना बंद कर देती हैं। 

 

कुछ ऐसी दवाएं भी होती हैं जिनके लिए स्टीक समय पर सेवन का महत्व होता है अन्यथा शरीर के लिए हानिकारक साबित होती हैं। पेशैंट के वजन और मर्ज को ध्यान में रखते हुए दवाओं के कॉबिनेशन सॉल्ट भी तय किए जाते हैं जो कैमिस्ट नहीं कर सकता हैं। गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को तो सेल्फ मेडिकेशन से कोसों दूर रहना चाहिए। 

 

सैल्फ मैडीकेशन में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का यह है रिकार्ड :
दवा                  इस्तेमाल (प्रतिशत)
पेन किलर          58   
 बुखार               34.5
 इंफे कशन         4.3
गला खराब        2.0
एलर्जी             1.8
एसिडिटी          1.0
वोमिट             0.5
नींद ना आना    0.5

 

स्टडी में शामिल पेशैंट्स का कहना :

-हम हर बार डाक्टर के पास नहीं जा सकते दवा लेने क्योंकि बहुत समय बर्बाद हो जाता है चाहे वो सरकारी डाक्टर ही हो।

-थोड़ी बहुत प्रॅब्लम के लिए हम खुद ही दवा खा लेते हैं और ठीक भी हो जाते हैं तो डाक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं लगती।

-हर बार डाक्टर के पास जाने से समय बर्बाद होता है, यही कैमिस्ट से सेम दवा मिल जाती है क्योंकि यह भी तो आधे डाक्टर ही हैं।

-हर बार डाक्टर के पास जाओ थोड़ी-थोड़ी प्रॉब्लम के लिए तो इतनी फीस ले लेते हैं, दवाई उन्होंने वही देनी होती है जो कैमिस्ट भी जानते हैं। 


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