अब एक ही बार में दी गई दवाई ठीक करेगी ब्रैस्ट कैंसर

punjabkesari.in Friday, Nov 10, 2017 - 09:28 AM (IST)

चंडीगढ़(रश्मि) : ब्रैस्ट कैंसर को ठीक करने के लिए एक ही बार में दी जाने वाली दवाई बनाई गई है। यह पहला फ्यूजन है जो शरीर में डाला जाता है। इस प्रोसैस में एक इंजैक्शन में ही बीमारी दुरुस्त हो सकती है। साथ ही कैंसर का इलाज करने के लिए मशरूम के आकार जैसा डिवाईस बनाया गया है। डिवाइस शरीर के उस हिस्से में लगाया जाएगा, जहां बीमारी है। डिवाईस वहां जाकर 90 से 95 फीसदी दवा लगातार डिलीवर करेगा। यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन, यू.एस.ए. के प्रो. रोडने जेहो ने दी। 

 

वह वीरवार को पंजाब यूनिवर्सिटी में नैनोसाइंटैक-2017 इंटरनैशनल कांफ्रैंस में हिस्सा लेने आए थे। कांफ्रैंस एक्सपैंडिग हॉरीजन ऑफ नैनोटैक्नोलॉजी विषय पर आयोजित की गई थी। प्रो. जेहो ने कहा कि इस डिवाईस की प्री क्लीनिकल स्टडी की जा रही हैं। डिवाईस के जरिए शरीर में भेजी गई दवा उसी जगह जाकर इलाज करेगी जहां बीमारी होगी। उन्होंने कहा कि वह एच.आई.वी. पर काम कर रहे हैं। 

 

कांफ्रैंस का उद्घाटन नाईपर मोहाली के डायरैक्टर प्रो. ए. रघुराम राय ने किया। उन्होंने नैनोमैडिसिंस और इनोवेशन पर   चर्चा की। प्रो. राय ने कहा कि इस समय वायु में काफी प्रदूषण फैला है। उन्होंने कहा कि  भविष्य में स्टीव जॉब के पांच एलीमैंट पसर्नलाईज मैडिसिन, ई-प्रिटींग, नैनोमैडिसिंस, आर्टीफिशियल इंटैलीजैंसी और मोबाइल एप्लीकेशन भविष्य की दवाई बन जाएंगे।  

 

दूध-हल्दी से एक्जोसोम निकालकर नैनोकम्पाऊंड के जरिए पहुंचेंगे : 
यूनिवर्सिटी ऑफ लुईसविले मैड स्कूल कैनटूके, यू.एस.ए. के फार्माकालॉजी एवं टाक्सीकॅालोजी विभाग के प्रो. रमेश गुप्ता ने कहा कि जैसे भारत में लोग हल्दी का दूध पीते है ताकि हल्दी मे मौजूद करक्यूमिन दिमाग में जाए, लेकिन इस दूध में सिर्फ एक फीसदी करक्यूमिन ही दिमाग में जाता है। अगर दिमाग में यह 5 से 8 गुना ज्यादा जाए, इसके लिए नैनो कम्पाऊंड तैयार किए जा रहे हैं। ऐसे एक्जोसोम को दूध से निकालकर भी कम्पाऊंड बनाए जा रहे हैं। 

 

यह एक्जोसोम गाय के कच्चे दूध से निकाले जाते हैं। ऐसे जामुन और ब्लैकबेरी से कलर कम्पाऊंड को निकालकर भी एक्जोसोम बना सकते हैं। जामुन और ब्लैकबेरी लंग और ओवेरियन कैंसर में फायदेमंद होते हैं। नैनो टैक्नोलॉजी के जरिए इन सभी एक्जोसोम को दिमाग तक पहुंचाया जा सकता है। 

 

प्रो. रमेश ने कहा कि  वह  इनका क्लीनिकल ट्रायल करना चाहते हैं। हमने इसके लिए कंपनियों से टॉयअप भी किया है। प्रो. रमेश ने कहा कि कुत्ते, बिल्लियों  और पशुओं के लिए कोई नहीं सोचता। जो दवाईयां मनुष्य के लिए बन रही हैं उनका प्रयोग जानवरों पर किया जा सकता है। प्रो. रमेश ने कहा कि  हर एक्जोसोम का एक कोड होता है। एक्जोसोम शरीर में वहीं जाकर काम करते है जहां बीमारी होती है। इन एक्जोसोम का कोड क्या होता है वह जिप में बंद है। इसे खोजने में अभी चार से पांच साल लगेंगे। 

 

करीब 300 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा : 
डीयाकीन यूनिवर्सिटी आस्ट्रेलिया के प्रो. जगत आर. कंवर ने कहा कि टिश्यू, सैल, आर्गन और नैनोटैक्नोलॉजी पर काम किया है। प्रो. रमेश ने कहा कि  एक्जोसोम में करीब 2000 प्रोटीन होते हैं जो नैनो डिलिवरी से शरीर में पहुंचाए जा सकते हैं।  

 

प्रो. भूपिंद्र सिंह भूप ने कांफ्रैंस में हिस्सा लेने वाली फैकल्टी का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि कांफ्रैंस में यू.एस.ए., कैनेडा, यू.के., फ्रांस, आस्ट्रेलिया और दुबई से करीब 300 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 

 

पी.यू. के वी.सी. प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर ने इस दौरान कहा कि युवा साइंटिस्ट इसमें हिस्सा ले रहे हैं। उन्हें सीनियर साइंटिस्ट से सिखने को काफी कुछ मिलेगा। इस अवसर पर विभिन्न यूनिवर्सिटीयों से प्रो. एन उडपा, डा. प्रो. ललित एम. भारद्वाज, प्रो. वी.के. जिंदल आदि उपस्थित थे। 

 

फसलों के अवशेष से बनाए जा सकते हैं उत्पाद :
नाइपर मोहाली के निदेशक प्रो. रघुराम राव ने कहा कि नैनो साइंटिस्ट स्मॉग से निपटने के लिए भी ठोस प्रयास कर रहे हैं। हर साल खेतों में पराली जलाने से उठने वाले धुएं से प्रदूषण की समस्या तब बढ़ जाती है जब वह कोहरे के साथ मिलकर स्मॉग बन जाती है। ऐसे वातावरण में सांस लेने में भी दिक्कत आने लगती है। 

 

इस समस्या से बचने के लिये प्रो. राव और उनके संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने फसलों के अवशेष से नैनो टेक्नोलॉजी से बड़े उपयोगी उत्पाद बनाने की खोज की है। इनमें से तीन उत्पाद बनाए जा सकेंगे जिनमें पहला होगा-सेल्यू एसिटिएट दूसरा-नैनो सेल्यूलोज और तीसरा सिलिका। 

 

इन तीनों पर हो रहे शोध को अभी अपस्केल किया जाना है, लैब के स्तर पर काम हो चुका है। केंद्र सरकार के अलावा वे पंजाब व हरियाणा सरकार से चाहते हैं कि वे सहयोग देें। हर किसी को पहले समस्या को समझना होगा और फिर उसके निराकरण के लिए हल खोजना होगा। 


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