समुद्री मोर्चे पर हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए समुद्री बल सदैव तत्पर: शीर्ष तटरक्षक अधिकारी
punjabkesari.in Tuesday, Jan 31, 2023 - 08:29 PM (IST)
कोलकाता, 31 जनवरी (भाषा) भारतीय तटरक्षक बल (आईजीसी) के उत्तर-पूर्व (एनई) क्षेत्र के प्रमुख आई एस चौहान ने मंगलवार को कहा कि समुद्री बल देश में घुसने की आतंकवादियों की कोशिश या वस्तुओं एवं नशीले पदार्थों की तस्करी समेत समुद्री मोर्चे पर हर प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए सदैव तत्पर है।
चौहान ने कहा कि आईसीजी के अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश समुद्री सीमा क्षेत्रों में निरंतर गश्त और निगरानी की जाती है।
आईसीजी (एनई) क्षेत्र के महानिरीक्षक ने कहा, ‘‘खतरे हमेशा बने रहेंगे, लेकिन इनसे निपटने के लिए हम हैं।’’ वह भारतीय तटरक्षक बल के 47वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर यहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह के खिदिरपुर डॉक में आईसीजी पोत ‘विजया’ पर मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एक आईसीजी पोत बंगाल की खाड़ी में भारत-बांग्लादेश समुद्री सीमा पर हमेशा तैनात रहता है और दो-तीन डोर्नियर विमान समुद्र में आवाजाही पर नजर रखने के लिए लगातार क्षेत्र में गश्त करते हैं।
चौहान ने कहा कि आईसीजी की तेज गश्ती नौकाओं के जरिए पोतों में बलों को सवार करने संबंधी गतिविधियों में काफी वृद्धि हुई है और समुद्री मार्गों से आतंकवाद से जुड़े तत्वों या अन्य लोगों, सामान और प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी की कोशिश की हर संभावना को रोकने के वास्ते नौकाओं की व्यापक तलाशी के लिए अपतटीय गश्ती पोतों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मछुआरा समुदाय हमारी आंख और कान की तरह काम करता है और हमने इस उद्देश्य के लिए उनके और तटरक्षक बल के बीच तालमेल सुनिश्चित किया है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या आईसीजी के पूर्वोत्तर क्षेत्र ने समुद्री मार्गों से रोहिंग्या शरणार्थियों की किसी भी आवाजाही देखी है, चौहान ने कहा कि बोर्डिंग ऑपरेशन (पोतों एवं नौकाओं पर बलों को सवार करने संबंधी ऑपरेशन) से नावों में उनकी मौजूदगी का पता नहीं चला है।
चौहान ने बताया कि आईसीजी के पास कोलकाता में तीन डोर्नियर गश्ती विमान हैं, जबकि भुवनेश्वर में चार नए अधिग्रहीत उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) हैं। उन्होंने कहा कि आईसीजी के उत्तर-पूर्व समुद्री किनारे पर और विमान शामिल करने की योजना है।
उन्होंने बताया कि इनके अलावा आईसीजीएस विजय समेत दो अपतटीय गश्ती पोत पारादीप में तैनात हैं, जबकि हल्दिया में चार होवरक्राफ्ट तैनात हैं।
उन्होंने बताया कि चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तलाश एवं बचाव अभियान भी चलाने वाले आईसीजी ने पिछले एक साल में अपने पूर्वोत्तर क्षेत्र में 596 लोगों की जान बचाई।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
चौहान ने कहा कि आईसीजी के अपने बांग्लादेशी समकक्षों के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। उन्होंने कहा कि भारत-बांग्लादेश समुद्री सीमा क्षेत्रों में निरंतर गश्त और निगरानी की जाती है।
आईसीजी (एनई) क्षेत्र के महानिरीक्षक ने कहा, ‘‘खतरे हमेशा बने रहेंगे, लेकिन इनसे निपटने के लिए हम हैं।’’ वह भारतीय तटरक्षक बल के 47वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर यहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी बंदरगाह के खिदिरपुर डॉक में आईसीजी पोत ‘विजया’ पर मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एक आईसीजी पोत बंगाल की खाड़ी में भारत-बांग्लादेश समुद्री सीमा पर हमेशा तैनात रहता है और दो-तीन डोर्नियर विमान समुद्र में आवाजाही पर नजर रखने के लिए लगातार क्षेत्र में गश्त करते हैं।
चौहान ने कहा कि आईसीजी की तेज गश्ती नौकाओं के जरिए पोतों में बलों को सवार करने संबंधी गतिविधियों में काफी वृद्धि हुई है और समुद्री मार्गों से आतंकवाद से जुड़े तत्वों या अन्य लोगों, सामान और प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी की कोशिश की हर संभावना को रोकने के वास्ते नौकाओं की व्यापक तलाशी के लिए अपतटीय गश्ती पोतों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘मछुआरा समुदाय हमारी आंख और कान की तरह काम करता है और हमने इस उद्देश्य के लिए उनके और तटरक्षक बल के बीच तालमेल सुनिश्चित किया है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या आईसीजी के पूर्वोत्तर क्षेत्र ने समुद्री मार्गों से रोहिंग्या शरणार्थियों की किसी भी आवाजाही देखी है, चौहान ने कहा कि बोर्डिंग ऑपरेशन (पोतों एवं नौकाओं पर बलों को सवार करने संबंधी ऑपरेशन) से नावों में उनकी मौजूदगी का पता नहीं चला है।
चौहान ने बताया कि आईसीजी के पास कोलकाता में तीन डोर्नियर गश्ती विमान हैं, जबकि भुवनेश्वर में चार नए अधिग्रहीत उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) हैं। उन्होंने कहा कि आईसीजी के उत्तर-पूर्व समुद्री किनारे पर और विमान शामिल करने की योजना है।
उन्होंने बताया कि इनके अलावा आईसीजीएस विजय समेत दो अपतटीय गश्ती पोत पारादीप में तैनात हैं, जबकि हल्दिया में चार होवरक्राफ्ट तैनात हैं।
उन्होंने बताया कि चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तलाश एवं बचाव अभियान भी चलाने वाले आईसीजी ने पिछले एक साल में अपने पूर्वोत्तर क्षेत्र में 596 लोगों की जान बचाई।
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