बंगाल : राजभवन में ‘हथेखोरी’ कार्यक्रम को लेकर भाजपा ने राज्यपाल पर निशाना साधा
punjabkesari.in Friday, Jan 27, 2023 - 08:24 PM (IST)
कोलकाता, 27 जनवरी (भाषा) भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने सरस्वती पूजा के मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में राज्य के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा राजभवन में उनके ‘हथेखोरी’ (बंगाली सीखने की शुरुआत) कार्यक्रम आयोजित करने के फैसले पर शुक्रवार को तंज कसा।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष घोष ने आरोप लगाया कि बोस को ‘‘किसी और’’ द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाना चाहिए और उनका यह कृत्य राज्यपाल के पद के ‘‘अनुकूल’’ नहीं है।
बोस, जिनकी मातृभाषा मलयालम है, ने 26 जनवरी को राजभवन में बनर्जी की उपस्थिति में तीन बच्चों से अपना पहला बंगाली पाठ सीखा।
राजभवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कक्षा तीन की छात्रा दियांग्शी रॉय ने बोस को बंगाली वर्णमाला का पहला अक्षर लिखना सिखाया जबकि कक्षा चार के दो छात्रों ने उन्हें दो बंगाली शब्दों का अर्थ सिखाया था।
‘हथेखोरी’ बंगाली घरों में सदियों से चली आ रही एक पुरानी रस्म है, जिसके दौरान सरस्वती पूजा के मौके पर एक स्लेट पर बच्चों को अक्षर लिखना सिखाया जाता है।
इस कार्यक्रम में बोस के मुख्यमंत्री बनर्जी को आमंत्रित किए जाने का जिक्र करते हुए भाजपा नेता घोष ने आरोप लगाया, ‘‘किसी राज्य के राज्यपाल को इस तरह के नाटक में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। इससे उनके संवैधानिक पद की शोभा नहीं बढ़ती।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई एक नई भाषा सीखने की उनकी (बोस) इच्छा की सराहना करता है, लेकिन वह ऐसा सार्वजनिक प्रदर्शन किए बिना कर सकते थे। उन्हें सावधान रहना चाहिए कि कुछ लोगों (तृणमूल कांग्रेस) द्वारा उनका उपयोग न किया जाए।’’
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सांतनु सेन ने भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘भाजपा राज्यपाल पर हमला कर रही है क्योंकि उन्होंने पार्टी द्वारा तय किए गए रास्ते को मानने से इनकार कर दिया है और अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ के विपरीत राज्य सरकार के साथ हर मुद्दे पर टकराव पैदा नहीं कर रहे हैं।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष घोष ने आरोप लगाया कि बोस को ‘‘किसी और’’ द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाना चाहिए और उनका यह कृत्य राज्यपाल के पद के ‘‘अनुकूल’’ नहीं है।
बोस, जिनकी मातृभाषा मलयालम है, ने 26 जनवरी को राजभवन में बनर्जी की उपस्थिति में तीन बच्चों से अपना पहला बंगाली पाठ सीखा।
राजभवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कक्षा तीन की छात्रा दियांग्शी रॉय ने बोस को बंगाली वर्णमाला का पहला अक्षर लिखना सिखाया जबकि कक्षा चार के दो छात्रों ने उन्हें दो बंगाली शब्दों का अर्थ सिखाया था।
‘हथेखोरी’ बंगाली घरों में सदियों से चली आ रही एक पुरानी रस्म है, जिसके दौरान सरस्वती पूजा के मौके पर एक स्लेट पर बच्चों को अक्षर लिखना सिखाया जाता है।
इस कार्यक्रम में बोस के मुख्यमंत्री बनर्जी को आमंत्रित किए जाने का जिक्र करते हुए भाजपा नेता घोष ने आरोप लगाया, ‘‘किसी राज्य के राज्यपाल को इस तरह के नाटक में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। इससे उनके संवैधानिक पद की शोभा नहीं बढ़ती।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हर कोई एक नई भाषा सीखने की उनकी (बोस) इच्छा की सराहना करता है, लेकिन वह ऐसा सार्वजनिक प्रदर्शन किए बिना कर सकते थे। उन्हें सावधान रहना चाहिए कि कुछ लोगों (तृणमूल कांग्रेस) द्वारा उनका उपयोग न किया जाए।’’
वहीं, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य सांतनु सेन ने भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘भाजपा राज्यपाल पर हमला कर रही है क्योंकि उन्होंने पार्टी द्वारा तय किए गए रास्ते को मानने से इनकार कर दिया है और अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ के विपरीत राज्य सरकार के साथ हर मुद्दे पर टकराव पैदा नहीं कर रहे हैं।’’
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