सशस्त्र बलों के कर्मियों के बीच गोलीबारी की घटनाएं: विशेषज्ञों का मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी पर जोर

punjabkesari.in Monday, Aug 08, 2022 - 04:36 PM (IST)

कोलकाता, आठ अगस्त (भाषा) मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि सशस्त्र बलों के कर्मियों द्वारा खुद को गोली मार लेने या दूसरों पर गोली चलाने की घटनाएं, उनकी नौकरी की कठिन प्रकृति के कारण अत्यधिक तनाव का परिणाम हैं और ऐसी स्थिति से सावधानी से निपटने की जरूरत है।

विशेषज्ञों का यह भी विचार है कि अधिकारियों को सशस्त्र बलों के सदस्यों की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति का कभी-कभी नहीं, बल्कि नियमित रूप से मूल्यांकन करना चाहिए। पिछले दो महीनों में, कोलकाता में ऐसी तीन घटनाएं हुई हैं जिनमें सशस्त्र कर्मियों ने अपने सर्विस हथियारों से गोलीबारी की। इन घटनाओं में चार लोग मारे गए और कम से कम तीन अन्य घायल हो गए जिनमें विभिन्न सशस्त्र बलों के सदस्य और आम नागरिक शामिल थे।

हालिया घटना में, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के एक जवान ने शनिवार को भारतीय संग्रहालय में एक बैरक के अंदर असॉल्ट राइफल से गोलियां चलाईं, जिसमें उसके एक वरिष्ठ सहकर्मी की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया।

यहां जोका स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. उज्ज्वल बंदोपाध्याय के अनुसार, मनोरोग संबंधी कर्मियों को आग्नेयास्त्र नहीं दिए जाने चाहिए। बंदोपाध्याय ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि निगरानी में रखते हुए उन्हें अपेक्षाकृत कम तनाव वाली नौकरियां दी जानी चाहिए जिनमें आग्नेयास्त्रों की आवश्यकता नहीं होती है।’’ इसके अलावा, सभी सशस्त्र कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का नियमित रूप से मूल्यांकन किया जाना चाहिए, जिसमें ज्ञात और अज्ञात मनोवैज्ञानिक मुद्दों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह के मूल्यांकन आम तौर पर छिटपुट तरीके से होते हैं और नियमित रूप से किए जाने चाहिए। सशस्त्र कर्मियों के तनाव के स्तर को कम रखने का प्रयास किया जाना चाहिए, जो परामर्श, योग और ध्यान द्वारा किया जा सकता है।’’ दस जून को, कोलकाता पुलिस के एक कांस्टेबल ने अपनी जान देने से पहले यहां एक व्यस्त सड़क पर लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाई थीं, जिसमें एक महिला की मौत हो गई थी और दो अन्य लोग घायल हुए थे। वहीं, कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 22 जुलाई को सीआईएसएफ के एक जवान ने खुद को गोली मार ली थी। बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘विभिन्न सशस्त्र बलों (सैन्य, अर्धसैनिक, पुलिस और अन्य) में कर्मियों की नौकरियां बेहद तनावपूर्ण हैं। कभी-कभी, हम भीषण प्रतिक्रियाएं देखते हैं जिन्हें नियमित परामर्श से कम या रोका जा सकता है।’’ शहर के एक अस्पताल में सलाहकार मनोवैज्ञानिक डॉ. स्मरणिका त्रिपाठी ने कहा कि यह संभव है कि जिस व्यक्ति ने कथित तौर पर भारतीय संग्रहालय के अंदर गोली चलाई थी, वह अत्यधिक तनाव की स्थिति में रहा हो और उसकी समस्याओं का उचित समाधान खोजने के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं थी।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी सशस्त्र बल में कर्मी अपनी नौकरी की प्रकृति के कारण हमेशा जबरदस्त शारीरिक और मानसिक दबाव में रहते हैं।’’ त्रिपाठी ने कहा कि कई बार वे अत्यधिक तापमान में काम करते हैं और उचित नींद, भोजन, मानसिक शांति और पारिवारिक जीवन से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि अगर नौकरी से संबंधित दबाव नियंत्रण से बाहर हो जाता है और किसी की सोचने की क्षमता खत्म हो जाती है, तो एक विस्फोट होता है।

त्रिपाठी ने कहा, ‘‘उन्हें सेवाकालीन प्रशिक्षण से गुजरना होगा और उन्हें कुछ छूट दी जानी चाहिए। यह विभिन्न सशस्त्र बलों में नियम पुस्तिका का एक हिस्सा है। पुलिस के पास (इस पर) एक नियमावली है, और अन्य बलों के पास भी होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि मानसिक स्थिति और मानसिक विकार के बीच अंतर है तथा मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मौजूदा सामाजिक वर्जनाओं से निपटा जाना चाहिए। त्रिपाठी ने कहा, ‘‘शारीरिक स्वास्थ्य की तरह, मानसिक स्वास्थ्य की भी हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। सहानुभूति, स्वीकृति और मानवीय सीमाओं की समझ के साथ सहयोग से हम सभी को मदद मिलेगी।’’

यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

PTI News Agency

Recommended News