बंगाल में स्टार्टअप ने पानी से ऑक्सीजन उत्पन्न करने के लिए उपकरण विकसित किया
punjabkesari.in Friday, Jun 24, 2022 - 04:29 PM (IST)
कोलकाता, 24 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल में एक स्टार्टअप ने ऐसा उपकरण विकसित किया है जो बटन दबाते ही पानी से ऑक्सीजन उत्पन्न कर देता है।
प्रौद्योगिकी के संस्थापकों ने कहा कि सोलायर इनिशिएटिव्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित उपकरण ''ओएम रेडॉक्स'' यहां वेबेल-बीसीसी एंड आई टेक इंक्यूबेशन सेंटर में लगाया गया है जो पानी से शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करता है।
स्टार्टअप उपक्रम के सह-संस्थापकों-डॉ. सौम्यजीत रॉय और उनकी पत्नी डॉ. पेई लियांग ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि मशीन एक विज्ञान नवोन्मेष है जिसके द्वारा उत्पन्न की जाने वाली ऑक्सीजन सामान्य रूप से किसी सांद्रक से प्राप्त होने वाली ऑक्सीजन की तुलना में 3.5 गुना अधिक शुद्ध होती है।
पश्चिम बंगाल इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग विकास निगम लिमिटेड (वेबेल) की प्रबंध निदेशक सुनरिता हाजरा ने कहा, ‘‘हम ऑक्सीजन पैदा करने वाले उपकरण के विनिर्माण और विपणन के प्रस्ताव पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं। हम प्रौद्योगिकी के बारे में सकारात्मक हैं और इसके सरल परिचालन से प्रभावित हैं। स्टार्टअप ने जो प्रगति की है, उसे देखते हुए अगले तीन महीनों में उपकरण के वाणिज्यीकरण की उम्मीद है।’’
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
प्रौद्योगिकी के संस्थापकों ने कहा कि सोलायर इनिशिएटिव्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित उपकरण ''ओएम रेडॉक्स'' यहां वेबेल-बीसीसी एंड आई टेक इंक्यूबेशन सेंटर में लगाया गया है जो पानी से शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करता है।
स्टार्टअप उपक्रम के सह-संस्थापकों-डॉ. सौम्यजीत रॉय और उनकी पत्नी डॉ. पेई लियांग ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि मशीन एक विज्ञान नवोन्मेष है जिसके द्वारा उत्पन्न की जाने वाली ऑक्सीजन सामान्य रूप से किसी सांद्रक से प्राप्त होने वाली ऑक्सीजन की तुलना में 3.5 गुना अधिक शुद्ध होती है।
पश्चिम बंगाल इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग विकास निगम लिमिटेड (वेबेल) की प्रबंध निदेशक सुनरिता हाजरा ने कहा, ‘‘हम ऑक्सीजन पैदा करने वाले उपकरण के विनिर्माण और विपणन के प्रस्ताव पर सक्रिय रूप से विचार कर रहे हैं। हम प्रौद्योगिकी के बारे में सकारात्मक हैं और इसके सरल परिचालन से प्रभावित हैं। स्टार्टअप ने जो प्रगति की है, उसे देखते हुए अगले तीन महीनों में उपकरण के वाणिज्यीकरण की उम्मीद है।’’
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