बंगाल के मुख्य सचिव-डीजीपी का तीन दिनों में दो बैठकें छोड़ना ‘संवैधानिक चूक’: राज्यपाल
punjabkesari.in Wednesday, Jan 12, 2022 - 05:28 PM (IST)

कोलकाता, 12 जनवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि राज्य के मुख्य सचिव एचके द्विवेदी और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मनोज मालवीय तीन दिन के दौरान उनके साथ तय दो बैठकों में शामिल नहीं हुए। राज्यपाल ने दोनों अधिकारियों द्वारा बैठक छोड़ने को ‘संवैधानिक चूक’ करार दिया।
धनखड़ का यह बयान उनके द्वारा दिन में बुलाई गई बैठक में दोनों अधिकारियों के नहीं शामिल होने के बाद आया। उन्होंने बैठक यह जानने के लिए बुलाई थी कि भाजपा के नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी को झारग्राम जिले के नेताई में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचने के दौरान सात जनवरी को पुलिस द्वारा कथित तौर पर क्यों रोका गया था, जबकि कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश है कि उनकी आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए।
धनखड़ ने अरोप लगाया कि दोनों अधिकारियों ने ना केवल शीर्ष सेवा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, बल्कि बैठक में बार-बार बुलाए जाने की अवहेलना करके लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन किया।
धनखड़ ने ट्वीट कर कहा कि इन दोनों अधिकारियों द्वारा तीन दिन में दूसरी बार ऐसा किया गया है।
धनखड़ ने इसके पहले आठ जनवरी को शुभेंदु अधिकारी को नेताई में कथित तौर पर रोके जाने को लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी को फोन किया था। राज्यपाल ने यह कदम अधिकारी द्वारा घटना के संबंध में राजभवन में शिकायत के बाद उठाया था और दोनों अधिकारियों से एक लिखित रिपोर्ट मांगी थी। जब मुख्य सचिव और डीजीपी ने राज्यपाल को बताया कि वह कोविड-19 के कारण पृथकवास में हैं, तो धनखड़ ने 9 जनवरी को एक अतिरिक्त मुख्य सचिव और डीजीपी से छोटे रैंक के एक अधिकारी को घटना के विवरण के साथ बैठक में आने का आग्रह किया था। घटना पर झारग्राम के पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद राज्यपाल ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें पूरी तरह से अद्यतन और लिखित रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके निर्देशों की अवहेलना की गई।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
धनखड़ का यह बयान उनके द्वारा दिन में बुलाई गई बैठक में दोनों अधिकारियों के नहीं शामिल होने के बाद आया। उन्होंने बैठक यह जानने के लिए बुलाई थी कि भाजपा के नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी को झारग्राम जिले के नेताई में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचने के दौरान सात जनवरी को पुलिस द्वारा कथित तौर पर क्यों रोका गया था, जबकि कलकत्ता उच्च न्यायालय का आदेश है कि उनकी आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए।
धनखड़ ने अरोप लगाया कि दोनों अधिकारियों ने ना केवल शीर्ष सेवा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, बल्कि बैठक में बार-बार बुलाए जाने की अवहेलना करके लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन किया।
धनखड़ ने ट्वीट कर कहा कि इन दोनों अधिकारियों द्वारा तीन दिन में दूसरी बार ऐसा किया गया है।
धनखड़ ने इसके पहले आठ जनवरी को शुभेंदु अधिकारी को नेताई में कथित तौर पर रोके जाने को लेकर मुख्य सचिव और डीजीपी को फोन किया था। राज्यपाल ने यह कदम अधिकारी द्वारा घटना के संबंध में राजभवन में शिकायत के बाद उठाया था और दोनों अधिकारियों से एक लिखित रिपोर्ट मांगी थी। जब मुख्य सचिव और डीजीपी ने राज्यपाल को बताया कि वह कोविड-19 के कारण पृथकवास में हैं, तो धनखड़ ने 9 जनवरी को एक अतिरिक्त मुख्य सचिव और डीजीपी से छोटे रैंक के एक अधिकारी को घटना के विवरण के साथ बैठक में आने का आग्रह किया था। घटना पर झारग्राम के पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद राज्यपाल ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें पूरी तरह से अद्यतन और लिखित रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके निर्देशों की अवहेलना की गई।
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