बंगाल बार काउंसिल के चार सदस्यों ने अध्यक्ष के खिलाफ प्रधान न्यायाधीश को लिखा पत्र

punjabkesari.in Monday, Jun 28, 2021 - 11:33 PM (IST)

कोलकाता, 28 जून (भाषा) पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के चार सदस्यों ने सोमवार को देश के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर दावा किया कि उसके अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस विधायक अशोक देब ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को हटाने की मांग अपनी ओर से की है।

बार काउंसिल के चार निर्वाचित सदस्यों ने अपनी असहमति दर्ज कराते हुए संयुक्त रूप से प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को लिखा कि देब का पत्र "बेहद उपहासपूर्ण है और बार के बहुमत की भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।’’
इससे पहले अशोक देब ने देश के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को हटाने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उनका रुख ‘भेदभावपूर्ण’ है।
कैलाश तमोली, रवींद्रनाथ भट्टाचार्य, समीर पॉल और मिहिर दास द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि पत्र की सामग्री के बारे में न तो काउंसिल की किसी बैठक में चर्चा की गयी और हमें इसके बारे में सोशल मीडिया से जानकारी मिली।
इस बीच देब के पत्र पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को कहा कि यह ‘‘न्यायपालिका पर धौंस जमाने’’ का प्रयास है।

भाजपा ने दावा किया कि देब ने यह मांग इसलिए रखी है क्योंकि उच्च न्यायालय ने चुनाव के बाद की हिंसा के लिए हाल ही में ममता बनर्जी नेतृत्व वाली सरकार की खिंचाई की थी।

देब ने प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण को भेजे अपने पत्र में कहा, ‘‘हम आपसे माननीय न्यायमूर्ति राजेश बिंदल को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से हटाने के लिए तत्काल कदम उठाने की प्रार्थना करते हैं।’’ हालिया कुछ मामलों का हवाला देते हुए देब ने आरोप लगाया कि ‘‘कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश पक्षपाती हैं।’’
भाजपा के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय प्रभारी अमित मालवीय ने हालांकि दावा किया कि न्यायमूर्ति बिंदल को हटाने की मांग पूरी तरह राजनीतिक है। मालवीय ने ट्वीट किया, ‘‘चूंकि कलकत्ता उच्च न्यायालय ममता बनर्जी नेतृत्व वाली सरकार को चुनाव बाद की हिंसा पर जिम्मेदार ठहरा रहा है, इसलिए मुख्यमंत्री बार काउंसिल के नाम पर बज बज के तृणमूल विधायक अशोक कुमार देब का इस्तेमाल करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को हटाने की मांग कर रही हैं? यह न्यायपालिका पर धौंस जमाने का प्रयास नहीं है ?’’


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