मुकुल रॉय के बयान के बाद भाजप ने कहा, कोई विधायक पार्टी नहीं छोड़ेगा, राज्यपाल दिल्ली रवाना

punjabkesari.in Wednesday, Jun 16, 2021 - 12:21 AM (IST)

कोलकाता, 15 जून (भाषा) हाल ही में भाजपा से वापस तृणमूल कांग्रेस में लौटे मुकुल रॉय ने मंगलवार को कहा कि वह कई लोगों से बात कर रहे हैं। इस पर भाजपा ने दावा किया कि उनकी पार्टी का कोई भी विधायक रॉय के नक्शेकदम पर नहीं चलेगा। वहीं, राज्यपाल जगदीप धनखड़ चार दिवसीय दिल्ली दौर पर रवाना हो गए। हालांकि, उनकी यात्रा के कारणों का जिक्र नहीं किया गया है।

इससे एक दिन पहले सोमवार को ही पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की कथित तौर पर खराब होती स्थिति को लेकर भाजपा के 75 में से 51 विधायकों ने राज्य के राज्यपाल से मुलाकात की थी।
इस बीच, राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया कि वह राज्य में चुनाव के बाद हुयी हिंसा पर चुप हैं और उन्होंने पीड़ित लोगों के पुनर्वास और मुआवजा के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं।

पश्चिम बंगाल सरकार ने चुनाव बाद की हिंसा को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंगलवार को कहा कि लगाए गए आरोप ''''वास्तविक तथ्यों'''' के अनुरूप नहीं हैं।

उधर, तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ बंगाल को ऐसा चित्रित करने की कोशिश कर रहे जैसे यहां फलस्तीन-इजराइल सरीखा युद्ध चल रहा है। तृणमूल के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा कि राज्यपाल अभूतपूर्व तरीके से प्रतिदिन राज्य सरकार पर हमला बोल रहे हैं।
रॉय ने कहा कि यह किसी विशेष योजना के तहत किया जा रहा है। तृणमूल सांसद ने संवाददाताओं से कहा कि राज्यपाल राज्य में कानून व्यवस्था की ऐसी बदतर स्थिति दर्शाना चाहते हैं जो वास्तव में नहीं है।
भाजपा में करीब साढ़े तीन साल बिताने के बाद तृणमूल कांग्रेस वापस लौटे मुकुल रॉय ने संवाददाताओं से कहा कि वह कई लोगों के साथ बातचीत कर रहे हैं। रॉय से सवाल किया गया कि क्या वह भाजपा के विधायकों और अन्य नेताओं को तृणमूल में शामिल कराने को लेकर बातचीत कर रहे हैं?, इस पर उन्होंने कहा, ” कई लोगों के साथ बातचीत जारी है।”
पश्चिम बंगाल विधनसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस के विधायक और मंत्रियों समेत कई अन्य नेता भगवा दल में शामिल हो गए थे जिनमें से कई नेता तृणमूल कांग्रेस में वापसी की इच्छा जता चुके हैं।

राज्यपाल से मुलाकात करने वालों में भाजपा के 24 विधायकों के शामिल नहीं होने को लेकर उनके अगले कदम को लेकर लगायी जा रही अटकलों पर भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने इनमें से किसी भी विधायक के तृणमूल कांग्रेस का दामन थामने की संभावनाओं को खारिज किया।

उन्होंने कहा कि काोविड-19 प्रोटोकॉल के मद्देनजर प्रतिनिधिमंडल में विधायकों की संख्या सीमित की गई थी।
इस बीच, राज्य के गृह विभाग ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और राज्यपाल द्वारा पत्र को सोशल मीडिया पर साझा किए जाने के कदम की आलोचना की और इसे तय नियमों का उल्लंघन करार दिया।

गृह विभाग ने ट्वीट कर कहा, '''' पश्चिम बंगाल सरकार ने निराशा के साथ यह पाया कि बंगाल के माननीय राज्यपाल ने उनके द्वारा राज्य की मुख्यमंत्री को लिखे पत्र को अचानक सार्वजनिक किया और पत्र की सामग्री वास्तविक तथ्यों के अनुरूप नहीं है। संचार का यह तरीका सभी तय नियमों का उल्लंघन है।''''
इससे पहले, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया कि वह राज्य में चुनाव के बाद हुयी हिंसा पर चुप हैं और उन्होंने पीड़ित लोगों के पुनर्वास और मुआवजा के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं।

आरोपों को खारिज करते हुए गृह विभाग ने कहा कि चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान राज्य की कानून-व्यवस्था की कमान निर्वाचन आयोग के हाथ में थी।

विभाग ने कहा कि शपथ ग्रहण के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने कदम उठाते हुए शांति बहाल की और कानून-विरोधी तत्वों पर नियंत्रण किया।
राज्यपाल ने चार दिवसीय यात्रा पर दिल्ली रवाना होने से कुछ घंटे पहले पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से उठाए गए मुद्दों पर जल्द से जल्द बातचीत करने का आग्रह किया। उन्होंने ममता बनर्जी को लिखे पत्र में कहा, ‘‘ मैं चुनाव के बाद प्रतिशोधात्मक रक्तपात, मानवाधिकारों का हनन, महिलाओं की गरिमा पर हमला, संपत्ति का नुकसान, राजनीतिक विरोधियों की पीड़ाओं पर आपकी लगातार चुप्पी और निष्क्रियता को लेकर मैं विवश हूँ...।’’
धनखड़ ने पत्र की प्रति ट्विटर पर भी पोस्ट की है। उन्होंने आरोप लगाया, "... आपकी चुप्पी, लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए पुनर्वास और मुआवजे की खातिर किसी भी कदम का अभाव से यह निष्कर्ष निकलता है कि यह सब राज्य द्वारा संचालित है।"
जुलाई 2019 में पदभार संभालने के बाद से ही कई मुद्दों पर धनखड़ और तृणमूल कांग्रेस सरकार आमने-सामने रहे हैं। उन्होंने राज्य में पुलिस और प्रशासन पर पक्षपात करने का भी आरोप लगाया है।



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