पश्चिम बंगाल सरकार से पटाखे नहीं जलाने की अपील पर पुनर्विचार करने की अपील
punjabkesari.in Thursday, Nov 05, 2020 - 09:27 AM (IST)
कोलकाता, चार नवंबर (भाषा) कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लोगों से काली पूजा एवं दिवाली के मौके पर आतिशबाजी से परहेज करने की अपील किये जाने पर पटाखा बाजार एसोसिएशन ने बुधवार को सरकार से इस कदम पर पुनर्विचार करने की अपील की।
‘पोश्चिम बांगो आतिशबाजी उन्नयन समिति’ के अध्यक्ष बबला राय ने संवाददाताओं से कहा कि यदि पटाखों के विनिर्माण और बिक्री पर रोक लग जाएगी तो राज्य में चार लाख लोगों की आजीविका दांव पर लग जाएगी।
राय ने दावा किया कि उन चार लाख लोगों में से दो लाख लोग अकेले दक्षिण 24 परगना जिले के चंपाहटी और नुंगी जैसे क्षेत्रों में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार कुछ महीने पहले निर्णय ले सकती थी और तब नये दिशानिर्देश जारी कर सकती थी। जो अब अदालत जा रहे हैं वे पहले ऐसा कर सकते थे। उससे वे परिवार पटाखे बनाने के बाद आखिरी घड़ी में बहुत बड़ा घाटा होने से बच जाते जो पहले ही लॉकडाउन की बुरी मार झेल चुके हैं।’’
राय ने कहा कि यदि पटाखों पर पूरी रोक लगा दी जाएगी तो इससे बाजार में अवैध पटाखों की भरमार हो जाएगी और वे पटाखों के 90 डेसीबल ध्वनि सीमा को धत्ता बतायेंगे।
उन्हेांने कहा, ‘‘ हमारे सदस्य 80-85 डेसीबल सीमा वाले पटाखे बना रहे हैं। कोई भी प्रतिबंध एक वर्ग को आतिशबाजी से नहीं रोक पाएगा।’’
पर्यावरण मंत्री अजय कुमार डे ने मंगलवार को याचिका दायर करके उच्च न्यायालय से महामारी के मद्देनजर इस साल कालीपूजा और दिवाली पर पटाखों की बिक्री एवं इन्हें जलाने पर पूर्ण रोक लगाने का अनुरोध किया।
राज्य सरकार ने मंगलवार को लोगों से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कालीपूजा और दिवाली पर पटाखे नहीं जलाने की अपील की थी। सरकार का कहना था कि वायु प्रदूषण कोविड-19 मरीजों के लिए घातक है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
‘पोश्चिम बांगो आतिशबाजी उन्नयन समिति’ के अध्यक्ष बबला राय ने संवाददाताओं से कहा कि यदि पटाखों के विनिर्माण और बिक्री पर रोक लग जाएगी तो राज्य में चार लाख लोगों की आजीविका दांव पर लग जाएगी।
राय ने दावा किया कि उन चार लाख लोगों में से दो लाख लोग अकेले दक्षिण 24 परगना जिले के चंपाहटी और नुंगी जैसे क्षेत्रों में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ सरकार कुछ महीने पहले निर्णय ले सकती थी और तब नये दिशानिर्देश जारी कर सकती थी। जो अब अदालत जा रहे हैं वे पहले ऐसा कर सकते थे। उससे वे परिवार पटाखे बनाने के बाद आखिरी घड़ी में बहुत बड़ा घाटा होने से बच जाते जो पहले ही लॉकडाउन की बुरी मार झेल चुके हैं।’’
राय ने कहा कि यदि पटाखों पर पूरी रोक लगा दी जाएगी तो इससे बाजार में अवैध पटाखों की भरमार हो जाएगी और वे पटाखों के 90 डेसीबल ध्वनि सीमा को धत्ता बतायेंगे।
उन्हेांने कहा, ‘‘ हमारे सदस्य 80-85 डेसीबल सीमा वाले पटाखे बना रहे हैं। कोई भी प्रतिबंध एक वर्ग को आतिशबाजी से नहीं रोक पाएगा।’’
पर्यावरण मंत्री अजय कुमार डे ने मंगलवार को याचिका दायर करके उच्च न्यायालय से महामारी के मद्देनजर इस साल कालीपूजा और दिवाली पर पटाखों की बिक्री एवं इन्हें जलाने पर पूर्ण रोक लगाने का अनुरोध किया।
राज्य सरकार ने मंगलवार को लोगों से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कालीपूजा और दिवाली पर पटाखे नहीं जलाने की अपील की थी। सरकार का कहना था कि वायु प्रदूषण कोविड-19 मरीजों के लिए घातक है।
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