कोविड19 पर PM मोदी की भी नहीं मान रहे उत्तराखंड के पार्टी संगठन के पदाधिकारी और सरकार के मंत्री

punjabkesari.in Wednesday, May 27, 2020 - 07:49 PM (IST)

नई दिल्ली/ डेस्क। उत्तराखंड में भाजपा संगठन और सरकार में शामिल लोगों को या तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोविड-19 को लेकर की गई अपील और केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश का अर्थ समझ में नहीं आया है, या फिर वह जानबूझकर इन निर्देशों का उपहास उड़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री की जिस अपील को भारत की जनता ने सिर माथे पर लिया और पूरी पवित्रता के साथ  पालन किया, भाजपा के नेता उसी की धज्जियां उड़ा रहे हैं।


उत्तराखंड में दो हालिया मामले इसके उदाहरण हैं। पहला मामला भाजपा के संगठन मंत्री अजेय कुमार से जुड़ा है। उन्हें 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया गया था। क्वारंटाइन नोटिस भाजपा प्रदेश कार्यालय में चस्पा किया गया। भाजपा के स्मार्ट कार्यकर्ताओं ने और नेताओं ने खुरच खुरच कर इस नोटिस से तारीख मिटा दी। नतीजतन इस स्थिति से अंजान लोगों का, कार्यकर्ताओं का और पार्टी नेताओं का भाजपा कार्यालय में आना-जाना जारी रहा। कुल मिलाकर पार्टी के पदाधिकारियों ने क्वारंटाइन की ऐसी की तैसी कर दी गई।
 


उधर, प्रशासन आंख मूंदे देखता रहा।  बोले तो बोले कैसे? कभी सत्ता के आगे कुछ बोलने की ताकत दिखाई है दरबारियों ने? मामला जब उछला तो पार्टी अध्यक्ष बंशीधर भगत ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि पुराना मामला है। पार्टी के मीडिया प्रभारी अजेन्द्र कहते  हैं कि अप्रैल में अजेय कुमार सहारनपुर गए थे। वहां से आने के बाद नियमानुसार उन्हें क्वारंटाइन किया गया था। उन्होंने सभी प्रोटोकाल का पालन किया है। सवाल यह है कि फिर भी आम लोगों से इसे छिपाने की जरूरत क्यों पड़ी?
 

दूसरा मामला पर्यटन मंत्री और आध्यात्मिक गुरु सतपाल महाराज से जुड़ा है। सतपाल महाराज के देहरादून के डालनवाला स्थित निजी आवास में बाहर से कुछ लोग आए। निवास के एक हिस्से को 20 मई को क्वॉरेंटाइन कर दिया गया। लेकिन नोटिस चस्पा हुआ। जब नोटिस 26 मई को चस्पा किया गया तब जाकर पूरा का पूरा मामला सामने आया। अब यह मीडिया की सुर्खियों में है। सवाल यह उठता है क्या भाजपा के नेताओं को प्रधानमंत्री मोदी की सलाह रास नहीं आ रही या फिर वह जानबूझकर चुनौती के अंदाज में खड़े  हैं। एक सवाल और, जब सत्ताधारी दल के नेता ही है ऐसा आदर्श पेश करेंगे तो फिर जनता क्या करेगी?
 

क्या ये भाजपा नेता लॉकडाउन और क्वारंटाइन के नियमों को धता बताकर कुछ खास संदेश देना चाहते हैं। इसके पहले यूपी के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को सूबे के एक वरिष्ठ नौकरशाह ने पास जारी करने का आदेश दे दिया था। जिसके पीछे यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी के पितृ कर्म के लिए जाने का बहाना खोजा गया था। साथी उस विधायक को साथियों के साथ बद्रीनाथ और केदारनाथ जाने की अनुमति देने के लिए व्यवस्था करने को भी जिलाधिकारियों को लिखा गया था। इस मामले में भी सरकार की बहुत ही  छीछालेदर हुई थी। मामला अब अदालत में है। इतना कुछ होने के बावजूद बीजेपी के दो बड़े नेताओं के कारनामे बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं।


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Edited By

Murari Sharan

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