तेलंगाना लीड रमण सरकार
punjabkesari.in Saturday, Sep 24, 2022 - 08:17 PM (IST)
राज्य प्रायोजित मुकदमों को रोकने से न्यायपालिका की आधी समस्याओं का समाधान हो जाएगा: न्यायमूर्ति रमण
हैदराबाद, 24 सितंबर (भाषा) भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. रमण ने शनिवार को सरकार को ‘‘सबसे बड़ा वादी’’ करार दिया और कहा कि यदि यह राज्य प्रायोजित मुकदमों को रोकने का फैसला करे तो न्यायपालिका की आधी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
न्यायमूर्ति रमण ने ‘इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) लीडरशिप समिट-2022’ को संबोधित करते हुए खेद व्यक्त किया कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश की न्यायिक अवसंरचना ‘‘परेशान’’ करने वाली है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कराए गए एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन में न्यायिक बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति के बारे में कुछ कठोर सच्चाई का पता चला था।
उन्होंने याद किया, ‘‘गत अप्रैल में मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के दौरान मुझे इन समस्याओं के बारे में अपने विचार रखने का अवसर मिला था। जैसे कि मैंने माननीय प्रधानमंत्री की उपस्थिति में कहा था कि एक सबसे बड़ी चिंता यह है कि सरकार सबसे बड़ी वादी है।’’
न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘अंतर-विभागीय विवाद, सेवा संबंधी मामले और अधिकारियों की निष्क्रियता से जुड़े अवरोध भयावह हैं। न्यायपालिका की आधी समस्या उसी समय हल हो जाएगी, जब सरकार राज्य प्रायोजित मुकदमों को रोकने का फैसला करेगी।’’
उन्होंने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर अपने 16 महीने के कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम शीर्ष अदालत में 11 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित कर सके और उनके द्वारा नामांकित 255 लोगों में से 233 पहले ही नियुक्त किए जा चुके हैं।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उनकी समझ के अनुसार व्यावसायिक छात्रों सहित सभी को संविधान की बुनियादी समझ होनी चाहिए।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति रमण ने ‘इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) लीडरशिप समिट-2022’ को संबोधित करते हुए खेद व्यक्त किया कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी देश की न्यायिक अवसंरचना ‘‘परेशान’’ करने वाली है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कराए गए एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन में न्यायिक बुनियादी ढांचे की खराब स्थिति के बारे में कुछ कठोर सच्चाई का पता चला था।
उन्होंने याद किया, ‘‘गत अप्रैल में मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के दौरान मुझे इन समस्याओं के बारे में अपने विचार रखने का अवसर मिला था। जैसे कि मैंने माननीय प्रधानमंत्री की उपस्थिति में कहा था कि एक सबसे बड़ी चिंता यह है कि सरकार सबसे बड़ी वादी है।’’
न्यायमूर्ति रमण ने कहा, ‘‘अंतर-विभागीय विवाद, सेवा संबंधी मामले और अधिकारियों की निष्क्रियता से जुड़े अवरोध भयावह हैं। न्यायपालिका की आधी समस्या उसी समय हल हो जाएगी, जब सरकार राज्य प्रायोजित मुकदमों को रोकने का फैसला करेगी।’’
उन्होंने कहा कि वह प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के तौर पर अपने 16 महीने के कार्यकाल में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम शीर्ष अदालत में 11 न्यायाधीशों की नियुक्ति सुनिश्चित कर सके और उनके द्वारा नामांकित 255 लोगों में से 233 पहले ही नियुक्त किए जा चुके हैं।
न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि उनकी समझ के अनुसार व्यावसायिक छात्रों सहित सभी को संविधान की बुनियादी समझ होनी चाहिए।
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