पारंपरिक, गैर-पारंपरिक खतरों का सामना कर रहा भारत: विदेश मंत्री जयशंकर
punjabkesari.in Wednesday, Aug 10, 2022 - 10:10 AM (IST)
हैदराबाद, नौ अगस्त (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि अपने कई समकालीनों की तुलना में भारतीय समाज सुरक्षा चुनौतियों को लेकर काफी अधिक संवेदनशील है और वह व्यापक तौर पर पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक खतरों का सामना कर रहा है।
यहां सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में 34वां सरदार वल्लभभाई पटेल स्मृति व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि बाहरी रूप से, अस्थिर सीमाओं को सुरक्षित करने का कार्य हमेशा कठिन कार्य होता है और वर्तमान पीढ़ियों के पास कई संघर्षों की प्रत्यक्ष यादें भी उनकी धारणा को आकार दे रही हैं।
उन्होंने कहा कि इन पहलुओं में से प्रत्येक को एक उन्नत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
जयशंकर ने अपने भाषण के अंशों से संबंधित सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘अपने कई समकालीनों की तुलना में भारतीय समाज सुरक्षा चुनौतियों को लेकर काफी अधिक संवेदनशील है और वह व्यापक तौर पर पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक खतरों का सामना कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था के मुद्दे और यहां तक कि आंतरिक सुरक्षा, एक विशाल, बहुलवादी और विविध व्यवस्था में स्पष्ट रूप से अधिक जटिल हैं तथा आतंकवाद को लेकर चिंता विशेष रूप से अधिक है, क्योंकि भारत ने अपनी सीमाओं से प्रायोजित निरंतर हिंसा का सामना किया किया है।
विदेश मंत्री ने कहा, "जब सुरक्षा की बात आती है, तो अधिक और बेहतर करना ही पर्याप्त नहीं रह गया है। भारत को अलग तरह से करने की जरूरत है और इसका मतलब है कि अलग तरह से सोचना। सुरक्षा बढ़ाने के लिए आज फिर से सोचने की जरूरत है।"
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
यहां सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में 34वां सरदार वल्लभभाई पटेल स्मृति व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि बाहरी रूप से, अस्थिर सीमाओं को सुरक्षित करने का कार्य हमेशा कठिन कार्य होता है और वर्तमान पीढ़ियों के पास कई संघर्षों की प्रत्यक्ष यादें भी उनकी धारणा को आकार दे रही हैं।
उन्होंने कहा कि इन पहलुओं में से प्रत्येक को एक उन्नत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
जयशंकर ने अपने भाषण के अंशों से संबंधित सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘‘अपने कई समकालीनों की तुलना में भारतीय समाज सुरक्षा चुनौतियों को लेकर काफी अधिक संवेदनशील है और वह व्यापक तौर पर पारंपरिक एवं गैर-पारंपरिक खतरों का सामना कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था के मुद्दे और यहां तक कि आंतरिक सुरक्षा, एक विशाल, बहुलवादी और विविध व्यवस्था में स्पष्ट रूप से अधिक जटिल हैं तथा आतंकवाद को लेकर चिंता विशेष रूप से अधिक है, क्योंकि भारत ने अपनी सीमाओं से प्रायोजित निरंतर हिंसा का सामना किया किया है।
विदेश मंत्री ने कहा, "जब सुरक्षा की बात आती है, तो अधिक और बेहतर करना ही पर्याप्त नहीं रह गया है। भारत को अलग तरह से करने की जरूरत है और इसका मतलब है कि अलग तरह से सोचना। सुरक्षा बढ़ाने के लिए आज फिर से सोचने की जरूरत है।"
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