आईसीएमआर टीबी के चार महीने के उपचार के असर को जानने के लिए करा रहा अध्ययन

punjabkesari.in Tuesday, Jul 05, 2022 - 10:23 AM (IST)

चेन्नई, चार जुलाई (भाषा) भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के राष्ट्रीय क्षय रोग अनुसंधान संस्थान ने मौजूदा छह महीने के इलाज की तुलना में चार महीने की उपचार पद्धति के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है।

यह परीक्षण अध्ययन पांच स्थानों पर किया जा रहा है। इनमें नागपुर का इंदिरा गांधी शासकीय मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (आईजीजीएमसीएच), किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ, महावीर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, हैदराबाद, गवर्नमेंट वेल्लोर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, अदुक्कमपरई और लोक नायक अस्पताल, नयी दिल्ली शामिल हैं।

आईसीएमआर इस अध्ययन के लिए कोष मुहैया करा रहा है। आईसीएमआर के राष्ट्रीय क्षय रोग अनुसंधान संस्थान (एनआईआरटी) की निदेशक डॉ. पद्मा प्रियदर्शिनी ने बताया, ‘‘अध्ययन के तहत हम टीबी के लगभग 550 रोगियों की भर्ती करेंगे, जिनका चार महीने उपचार होगा। इसमें मोक्सीफ्लोक्सासिन के साथ नियमित निश्चित खुराक संयोजन (एफडीसी) को जोड़ा गया है। हम उपचार के 24 महीने बाद तक उनकी स्थिति पर गौर करेंगे।’’ परीक्षण स्थलों पर मरीजों के नाम शामिल कराने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली और लखनऊ में मरीजों की भर्ती शुरू हो गई है, जबकि अन्य जगहों पर यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू हो जाएगी।

प्रियदर्शिनी ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि अगस्त तक मरीजों के नाम शामिल कर लिए जाएंगे और दो साल तक उनकी स्थिति देखी जाएगी ताकि यह पता चल सके कि कम अवधि वाला यह उपचार काम करता है या नहीं। फिलहाल हमें सभी जगहों पर मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की गति बढ़ानी है।’’ उन्होंने कहा कि उपचार को छोटा करने का पूरा विचार सिर्फ इलाज नहीं है, बल्कि यह देखना है कि रोगियों में बीमारी फिर से ना हो। यही उपचार को छोटा करने का सिद्धांत है।

आईसीएमआर-एनआईआरटी द्वारा मोक्सीफ्लोक्सासिन के साथ चार महीने का अध्ययन कुछ साल पहले तमिलनाडु में टीबी के 321 मरीजों पर किया गया था। प्रियदर्शिनी ने कहा कि उस परीक्षण के सफल परिणाम के आधार पर अब पूरे देश में पांच जगहों पर अध्ययन कराया जा रहा है।

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत टीबी रोधी दवाएं निश्चित खुराक संयोजन (एफडीसी) में दी जाती हैं।



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