अन्नाद्रमुक नेतृत्व में तकरार से जयललिता की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में खलल
punjabkesari.in Sunday, Dec 05, 2021 - 07:53 PM (IST)
चेन्नई, पांच दिसंबर (भाषा) अन्नाद्रमुक की पूर्व प्रमुख जयललिता की पुण्यतिथि पर रविवार को यहां हुए कार्यक्रम में पार्टी नेतृत्व पर दावा केंद्र बिंदु में रहा। तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी का नेतृत्व कर रहे ओ. पनीरसेल्वम और के. पलानीस्वामी ने कहा कि यह ‘किला’ है जिसे कोई भी नहीं हिला सकेगा।
वी. के. शशिकला के समर्थकों ने उन्हें जयललिता का ‘राजनीतिक वारिस’ बताया और उनके भतीजा टीटीवी दिनाकरण नीत अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम (एएमएमके) ने लोकतांत्रिक तरीके से अन्नाद्रमुक को हासिल करने का संकल्प जताया।
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री की पांचवीं पुण्यतिथि पर कुछ समय के लिए तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई जब दिनाकरण के समर्थकों ने के. पलानीस्वामी सहित अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेताओं का कथित तौर पर घेराव करने का प्रयास किया। साथ ही दिनाकरण के समर्थकों और अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष भी हुआ जब दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। उस वक्त पुलिसकर्मियों ने उनमें से कुछ को वहां से अलग हटाया।
ओ. पनीरसेल्वम और के. पलानीस्वामी के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ता जयललिता के स्मारक पर इकट्ठा हुए और ‘‘बांटों एवं राज करो के षड्यंत्र के माध्यम से दुश्मनों’’ को नहीं जीतने देने की बात कही। पनीरसेल्वम द्वारा इस मौके पर अन्नाद्रमुक की प्रतिज्ञा को पढ़ा गया जिसे वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने दोहराया।
पार्टी ने प्रतिज्ञा में कहा कि अन्नाद्रमुक एक किले की तरह है जिसे कोई भी नहीं हिला सकता चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों नहीं हो। इसमें पार्टी को एकजुट रखने एवं उसकी रक्षा करने का संकल्प भी व्यक्त किया गया।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
वी. के. शशिकला के समर्थकों ने उन्हें जयललिता का ‘राजनीतिक वारिस’ बताया और उनके भतीजा टीटीवी दिनाकरण नीत अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम (एएमएमके) ने लोकतांत्रिक तरीके से अन्नाद्रमुक को हासिल करने का संकल्प जताया।
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री की पांचवीं पुण्यतिथि पर कुछ समय के लिए तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई जब दिनाकरण के समर्थकों ने के. पलानीस्वामी सहित अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेताओं का कथित तौर पर घेराव करने का प्रयास किया। साथ ही दिनाकरण के समर्थकों और अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं के बीच संघर्ष भी हुआ जब दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की। उस वक्त पुलिसकर्मियों ने उनमें से कुछ को वहां से अलग हटाया।
ओ. पनीरसेल्वम और के. पलानीस्वामी के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ता जयललिता के स्मारक पर इकट्ठा हुए और ‘‘बांटों एवं राज करो के षड्यंत्र के माध्यम से दुश्मनों’’ को नहीं जीतने देने की बात कही। पनीरसेल्वम द्वारा इस मौके पर अन्नाद्रमुक की प्रतिज्ञा को पढ़ा गया जिसे वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने दोहराया।
पार्टी ने प्रतिज्ञा में कहा कि अन्नाद्रमुक एक किले की तरह है जिसे कोई भी नहीं हिला सकता चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों नहीं हो। इसमें पार्टी को एकजुट रखने एवं उसकी रक्षा करने का संकल्प भी व्यक्त किया गया।
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