अन्नाद्रमुक ने अपनी नियमावली में बदलाव किया, शशिकला के लिए दरवाजे बंद किए

punjabkesari.in Wednesday, Dec 01, 2021 - 05:54 PM (IST)

चेन्नई, एक दिसंबर (भाषा) तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी और वी. के. शशिकला की चुनौती से निपटने की कोशिश कर रही अन्नाद्रमुक ने बुधवार को अपनी नियमावली में बदलाव किया ताकि मौजूदा शीर्ष दो पदों के ढांचे को बरकरार रखा जा सके और उन्हें मजबूती प्रदान की जा सके। इन पदों पर अभी ओ. पनीरसेलवम और के. पलानीस्वामी पदस्थ हैं।

नियमावली में बदलाव का फैसला अन्नाद्रमुक की कार्यकारी समिति की यहां हुई बैठक में लिया गया जिससे शशिकला के लिए रास्ते प्रभावी तौर पर बंद हो गए जो खुद के पार्टी ‘महासचिव’ होने का दावा कर रही हैं।
अन्नाद्रमुक की स्वर्ण शताब्दी वर्ष के चलते साल भर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के दौरान 17 अक्टूबर को हुए पार्टी समारोह में दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी समझी जाने वाली शशिकला ने अन्नाद्रमुक पर अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास करते हुए खुद को पार्टी का महासचिव घोषित किया था, जिसका पार्टी नेतृत्व ने कड़ा विरोध जताया था।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में पार्टी नियमों में किए गए बदलाव के तहत महासचिव के पद में निहित सभी शक्तियां नव सृजित पदों, पार्टी समन्वयक (पनीरसेलवम) और संयुक्त समन्वयक (पलानीस्वामी) में निहित कर दी गई थीं और इस नए बदलाव से शीर्ष पार्टी ढांचे को मजबूती मिलेगी।
ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने पार्टी की नियमावली में परिवर्तन कर शीर्ष नेतृत्व के चुनाव के लिए ‘प्राथमिक सदस्यों’ के लिए ‘एक मत’ की व्यवस्था की है। यह शीर्ष नेतृत्व दो पदों समन्वयक और संयुक्त समन्वयक को मिलाकर बना है। वहीं, दो पदों के लिए अलग मत नहीं होंगे क्योंकि दोनों पद एक साथ पार्टी का शीर्ष नेतृत्व का निर्माण करते हैं।
अन्नाद्रमुक के मुताबिक शशिकला पार्टी की सदस्य नहीं हैं, हालांकि वह महासचिव होने का दावा करती हैं।
वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने संवाददाताओं से कहा कि जो पांच साल या इससे अधिक समय से सदस्य हैं, वे ही पार्टी नेतृत्व का चुनाव करने के लिए मतदान की अर्हता रखते हैं।

दूसरा संशोधन उस मौलिक नियम को स्पष्ट करता है कि पार्टी नेतृत्व का चयन केवल प्राथमिक अन्नाद्रमुक सदस्यों द्वारा किया जा सकता है। वहीं, तीसरे संशोधन के मुताबिक, अन्नाद्रमुक नेतृत्व का चुनाव करने वाले सदस्यों के मूल नियमों में कोई छूट नहीं की जा सकती।



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