जाने माने तमिल फिल्मकार के वी आनंद का निधन
punjabkesari.in Friday, Apr 30, 2021 - 11:19 AM (IST)
चेन्नई, 30 अप्रैल (भाषा) जाने माने तमिल फिल्म निर्देशक और सिनेमैटोग्राफर के वी आनंद का दिल का दौरा पड़ने से शुक्रवार तड़के निधन हो गया। उनके परिवार के करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
फिल्म उद्योग प्रचारक और फिल्म विश्लेषक रियाज के अहमद ने बताया, ‘‘दिल का दौरा पड़ने से एक अस्पताल में तड़के तीन बजे उनका निधन हो गया। वह 54 वर्ष के थे।’’
आनंद ने अपने कॅरियर की शुरुआत 1994 में मलयालम फिल्म ‘थेनमविन कोम्बाथ’ में सिनेमैटोग्राफर के रूप में की थी और कई दशक तक इस क्षेत्र में काम करने के बाद उन्होंने तमिल फिल्म ‘काना कानदेन’ (2005) से निर्देशकीय पारी की शुरुआत की।
‘थेनमिवन कोम्बाथ’ के लिए आनंद को सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
जाने माने अभिनेता एवं मक्कल निधि मय्यम के प्रमुख कमल हासन ने कहा कि आनंद ने अपने जीवन की शुरुआत एक फोटो पत्रकार के रूप में की और अपने अथक प्रयासों एवं पहलों से उन्होंने खुद को एक प्रतिष्ठित सिनेमैटोग्राफर-फिल्म निर्देशक के रूप में स्थापित किया।
हासन ने कहा, ‘‘उनका निधन फिल्म उद्योग के लिए एक बड़ी क्षति है।’’
फिल्म उद्योग पर नजर रखने वाले विश्लेषक एम भारत कुमार ने कहा, ‘‘आनंद की रंगो की समझ विशिष्ट थी और उनका कैमरा पर्दे पर जादू पैदा करता था। शिवाजी में उन्होंने रजनीकांत को अलग ही रंग में दिखाया जो बड़ी हिट फिल्म साबित हुई।’’
आनंद के निर्देशन वाली चर्चित फिल्मों में ‘को’, ‘आयन’, ‘मातरान’, ‘आनेगन’, ‘कावन’, और ‘कापान’ शामिल हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
फिल्म उद्योग प्रचारक और फिल्म विश्लेषक रियाज के अहमद ने बताया, ‘‘दिल का दौरा पड़ने से एक अस्पताल में तड़के तीन बजे उनका निधन हो गया। वह 54 वर्ष के थे।’’
आनंद ने अपने कॅरियर की शुरुआत 1994 में मलयालम फिल्म ‘थेनमविन कोम्बाथ’ में सिनेमैटोग्राफर के रूप में की थी और कई दशक तक इस क्षेत्र में काम करने के बाद उन्होंने तमिल फिल्म ‘काना कानदेन’ (2005) से निर्देशकीय पारी की शुरुआत की।
‘थेनमिवन कोम्बाथ’ के लिए आनंद को सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफर का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
जाने माने अभिनेता एवं मक्कल निधि मय्यम के प्रमुख कमल हासन ने कहा कि आनंद ने अपने जीवन की शुरुआत एक फोटो पत्रकार के रूप में की और अपने अथक प्रयासों एवं पहलों से उन्होंने खुद को एक प्रतिष्ठित सिनेमैटोग्राफर-फिल्म निर्देशक के रूप में स्थापित किया।
हासन ने कहा, ‘‘उनका निधन फिल्म उद्योग के लिए एक बड़ी क्षति है।’’
फिल्म उद्योग पर नजर रखने वाले विश्लेषक एम भारत कुमार ने कहा, ‘‘आनंद की रंगो की समझ विशिष्ट थी और उनका कैमरा पर्दे पर जादू पैदा करता था। शिवाजी में उन्होंने रजनीकांत को अलग ही रंग में दिखाया जो बड़ी हिट फिल्म साबित हुई।’’
आनंद के निर्देशन वाली चर्चित फिल्मों में ‘को’, ‘आयन’, ‘मातरान’, ‘आनेगन’, ‘कावन’, और ‘कापान’ शामिल हैं।
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