तमिलनाडु के राज्यपाल ने 7.5 प्रतिशत आरक्षण वाले विधेयक को मंजूरी दी

punjabkesari.in Friday, Oct 30, 2020 - 06:54 PM (IST)

चेन्नई, 30 अक्टूबर (भाषा) तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में सफल रहे सरकारी स्कूलों के छात्रों को चिकित्सा पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है।

तमिलनाडु सरकार ने मौजूदा शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से ही चिकित्सा पाठ्यक्रमों में दाखिले को लेकर नीट पास करने वाले राज्य संचालित स्कूलों के छात्रों को 7.5 प्रतिशत आरक्षण देने के लिये बृहस्पतिवार को शासकीय आदेश जारी किया था। इसके एक दिन बाद राज भवन ने कहा ‘‘तमिलनाडु के लोगों को सूचित किया जाता है कि राज्यपाल ने इस संबंध में विधेयक को मंजूरी दे दी है।’’
राज भवन की विज्ञप्ति के अनुसार राज्यपाल ने 26 सितम्बर को लिखे एक पत्र में भारत के सॉलिसीटर जनरल (एसजीआई) से कानूनी राय मांगी थी और 29 अक्टूबर को इस पर राय मिल गयी।

बयान में कहा गया है, ‘‘राय मिलते ही माननीय राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दे दी।’’
द्रमुक सहित विपक्षी दलों द्वारा विधेयक को मंजूरी देने में पुरोहित पर देरी करने का आरोप लगाए जाने के बीच राज भवन ने स्पष्ट किया कि कानूनी राय मिलते ही विधेयक को तुरंत मंजूरी दे दी गई।

मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने कहा कि मौजूदा वर्ष से आरक्षण लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं ।
द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने दावा किया कि राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं रह गया था इसलिए उन्होंने आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी । स्टालिन ने विधेयक को मंजूरी देने के लिए राज्यपाल को शुक्रिया कहा।

द्रमुक अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी के प्रदर्शन और मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ द्वारा उम्मीद व्यक्त करने के बाद ‘‘पुरोहित को अपना मन बदलना पड़ा।’’
स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा कि 45 दिनों बाद और मेडिकल काउंसलिंग शुरू होने के समय इसे मंजूरी दी गयी और राज्यपाल को मंजूरी के वक्त इन पहलुओं पर विचार करना चाहिए था।

कुछ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जतायी थी कि राज्यपाल जल्द फैसला करेंगे।

भाजपा नेता खुशबू सुंदर ने कहा, ‘‘हम वादा करते हैं तो उसे पूरा करते हैं।’’ पीएमके प्रमुख एस. रामदास ने कहा कि पुरोहित की मंजूरी लोगों की जीत है।

राजभवन ने कहा कि पुरोहित ने यह जानना चाहा था कि क्या प्रस्तावित आरक्षण अनुच्छेद 14 (समानता) और 15 (भेदभाव रोकने) के हिसाब से उपयुक्त है या नहीं।

एसजीआई तुषार मेहता ने अपनी राय में कहा कि विधेयक संविधान के अनुरूप है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह न्यायिक समीक्षा और आरक्षित सीटों की ऊपरी सीमा से संबंधित अन्य संवैधानिक सिद्धांतों के अधीन है।

तमिलनाडु में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, इंडियन मेडिसीन और होम्योपैथी में स्नातक पाठ्यक्रम में सरकारी स्कूलों के छात्रों को दाखिले से संबधित विधेयक को विधानसभा में 15 सितंबर को पारित किया गया और मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था।


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PTI News Agency

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