केंद्र ने चीता परियोजना की निगरानी के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया

punjabkesari.in Saturday, May 27, 2023 - 11:47 AM (IST)

नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) केंद्र ने चीतों के पुनर्वास कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा और निगरानी तथा ईको-पर्यटन के लिए चीतों के रहवास के निर्माण के संबंध में सुझाव देने के लिए 11 सदस्यीय उच्च स्तरीय संचालन समिति का गठन किया है।

मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दो और चीता शावकों की मौत के बारे में सूचना आने के कुछ ही समय बाद बृहस्पतिवार को ‘ग्लोबल टाइगर फोरम’ के महासचिव राजेश गोपाल की अध्यक्षता में समिति गठित करने का निर्णय लिया गया।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में करीब दो महीने में तीन वयस्क चीते और नामीबिया की मादा चीता सिसाया से पैदा हुए चार शावकों में से तीन की मौत हो गई है, जिसके कारण कई विशेषज्ञों ने रहवास अनुकूलता और वन्यजीव प्रबंधन के संबंध में सवाल उठाए हैं।

समिति के अन्य 10 सदस्यों में राजस्थान के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक आर एन मेहरोत्रा, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के पूर्व निदेशक पी आर सिन्हा; एचएस नेगी, पूर्व एपीसीसीएफ, वन्यजीव तथा डब्ल्यूआईआई में पूर्व संकाय पी के मलिक शामिल हैं।

इसके अलावा सदस्यों में जी एस रावत, पूर्व डीन, डब्ल्यूआईआई, मित्तल पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता, कमर कुरैशी, वैज्ञानिक, डब्ल्यूआईआई, महानिरीक्षक, एनटीसीए तथा मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन हैं।

आवश्यकता पड़ने पर सलाह देने के लिए अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों के परामर्श पैनल में प्रो. एड्रियन टॉरडिफ, पशु चिकित्सा वन्यजीव विशेषज्ञ, पशु चिकित्सा विज्ञान संकाय, प्रिटोरिया विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका, डॉ. लॉरी मार्कर, चीता कन्जर्वेशन फंड (सीसीएफ), नामीबिया, डॉ. एंड्रयू जॉन फ्रेजर, फार्म ओलिएवनबोश, दक्षिण अफ्रीका और विंसेट वान डेर मर्व, प्रबंधक, चीता मेटापॉपुलेशन प्रोजेक्ट, दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा जारी एक कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है कि मध्य प्रदेश वन विभाग और एनटीसीए को ‘‘चीतों के पुनर्वास की समीक्षा, प्रगति, निगरानी और सलाह देने के लिए’’ उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है। यह समिति ईको-पर्यटन के लिए चीतों के आवासों का निर्माण करने और इस बारे में विनियमों पर सुझाव देगी।

संचालन समिति दो वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगी और आवश्यकता पड़ने पर क्षेत्र का निरीक्षण करने के अलावा प्रत्‍येक महीने कम से कम एक बैठक आयोजित करेगी।

दक्षिण अफ्रीकी वन्यजीव विशेषज्ञ विंसेट वान डेर मर्व ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा था कि भारत को चीतों के दो से तीन निवास स्थलों पर बाड़ लगानी चाहिए क्योंकि इतिहास में बिना बाड़ वाले अभयारण्य में चीतों को फिर से बसाए जाने के प्रयास कभी सफल नहीं हुए हैं।

उन्होंने कहा कि चीतों को फिर से बसाए जाने की परियोजना के दौरान आगामी कुछ महीनों में तब और मौत होने की आशंका है, जब चीते कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य में अपने क्षेत्र स्थापित करने की कोशिश करेंगे और तेंदुओं एवं बाघों से उनका सामना होगा।

कई विशेषज्ञों, यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने भी मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में जगह की कमी पर चिंता व्यक्त की है और चीतों को अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है।

अप्रैल में, मध्य प्रदेश वन विभाग ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को एक पत्र लिखा था, जिसमें कूनो में चीतों के लिए ‘‘वैकल्पिक’’ स्थल का अनुरोध किया गया था।

चीतों को बसाने के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 17 सितंबर को अपने 72 वें जन्मदिन पर नामीबिया से पहले जत्थे में लाए गए आठ चीतों को कूनो में एक बाड़े में छोड़ा था। इस तरह के दूसरे जत्थे में, 12 चीतों को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया और 18 फरवरी को कूनो में छोड़ा गया।



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