केरल केवल अपनी उपलब्धियों के भरोसे नहीं रह सकता, उत्पादक क्षमता का प्रयोग करने की जरूरत: थरूर
punjabkesari.in Wednesday, Feb 01, 2023 - 06:59 PM (IST)
नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) ‘गाड्स ओन कंट्री’ केरल को दुनिया के सामने एक नए ब्रांड के रूप में पेश करने के प्रति आगाह करते हुए कांग्रेस नेता शशि थरूर ने उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत की जिन पर ‘उल्लेखनीय परिवर्तन’ की दिशा में आगे बढ़ने से पूर्व राज्य की उत्पादक क्षमता का प्रयोग करने के लिए तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
थरूर ने मंगलवार को यहां कहा कि केरल केवल अपनी उपलब्धियों के भरोसे नहीं रह सकता, बल्कि राज्य को अपनी उत्पादक क्षमता का प्रयोग करने की जरूरत है।
थरूर ने भारत के प्रमुख मीडिया समूहों में से एक, ‘मातृभूमि’ द्वारा अपना शताब्दी वर्ष मनाने के लिए आयोजित ‘‘100वीं भाषण श्रृंखला’’ के समापन भाषण में लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि ‘‘मलयाली चमत्कार’’ हमेशा से कायम रहा है, लेकिन आज इसे और भी सक्रिय करने की आवश्यकता है।
मातृभूमि की ‘‘100वीं भाषण श्रृंखला’’ में थरूर के समापन भाषण के साथ ही संयोगवश दो फरवरी से तिरुवनंतपुरम में ‘मातृभूमि अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव (एमबीएफआईएल) का चौथा संस्करण भी शुरू हो रहा है।
तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने कहा कि केरल ने 94 प्रतिशत से अधिक की साक्षरता दर सहित बीते दशकों में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह उन कुछ भारतीय राज्यों में से एक है जिन्होंने अपनी जाति-उन्मुख संस्कृति में व्यापक परिवर्तन लाने के अलावा भूमि सुधारों की शुरुआत की।
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन योजना 1830 के दशक में केरल में मौजूद थी, जिसकी शुरुआत संत कुरियाक्कोस एलियास चावरा ने की थी।’’
केरल की समावेशिता और खुलेपन की विरासत की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के जातीय समूहों ने सदियों से केरल को अपना घर बनाया है, चाहे वे यहूदी हों, मुस्लिम हों, ईसाई हों या हिंदू।
उन्होंने कहा कि अपने आकर्षक इतिहास और संस्कृति तथा उल्लेखनीय सामाजिक प्रगति के बावजूद आज केरल को ‘‘डेविल्स ओन बैकयार्ड’’ भी कहा जाता है जो मुख्य रूप से इसके निवेशक संरक्षण में पिछड़ने और कारोबार की सुगमता में पीछे रहने के निराशाजनक प्रदर्शन का परिणाम है।
राज्य में अचानक होने वाली हड़तालों और अपनी मांगें मनवाने के लिए दिए जाने वाले धरनों का जिक्र करते हुए थरूर ने कहा कि ऐसे समय में जब विश्व बैंक ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में भारत का सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उल्लेख किया है, केरल को इन उम्मीदों पर भी खरा उतरने की जरूरत है ।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी अनुपात के मामले में यह जम्मू कश्मीर के बाद दूसरा सबसे खराब राज्य है और यह एक निराशाजनक स्थिति है जहां कुशल लोगों को बेरोजगार रखा जाता है। उन्होंने कहा कि विदेशों से आने वाली रकम के धीरे-धीरे कम होने के कारण संकट और भी विकट होता जा रहा है जो कभी राज्य की अर्थव्यवस्था की ताकत हुआ करती थी।
डॉ. थरूर ने कहा कि बेहतरीन क्षमता होने के बावजूद राज्य आईटी क्षेत्र में भी पिछड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक पहलू यह है कि अब केरल के निवेश संवर्धन और सुविधाओं में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान के हिस्से के रूप में नियामक मंजूरी, वित्तीय पैकेज, और महिलाओं और स्टार्ट-अप को विशेष सहायता देकर निवेशकों और उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए एक समेकित दृष्टिकोण शुरू करने के लिए तैयार है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
थरूर ने मंगलवार को यहां कहा कि केरल केवल अपनी उपलब्धियों के भरोसे नहीं रह सकता, बल्कि राज्य को अपनी उत्पादक क्षमता का प्रयोग करने की जरूरत है।
थरूर ने भारत के प्रमुख मीडिया समूहों में से एक, ‘मातृभूमि’ द्वारा अपना शताब्दी वर्ष मनाने के लिए आयोजित ‘‘100वीं भाषण श्रृंखला’’ के समापन भाषण में लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि ‘‘मलयाली चमत्कार’’ हमेशा से कायम रहा है, लेकिन आज इसे और भी सक्रिय करने की आवश्यकता है।
मातृभूमि की ‘‘100वीं भाषण श्रृंखला’’ में थरूर के समापन भाषण के साथ ही संयोगवश दो फरवरी से तिरुवनंतपुरम में ‘मातृभूमि अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव (एमबीएफआईएल) का चौथा संस्करण भी शुरू हो रहा है।
तिरुवनंतपुरम से सांसद थरूर ने कहा कि केरल ने 94 प्रतिशत से अधिक की साक्षरता दर सहित बीते दशकों में उत्कृष्ट उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह उन कुछ भारतीय राज्यों में से एक है जिन्होंने अपनी जाति-उन्मुख संस्कृति में व्यापक परिवर्तन लाने के अलावा भूमि सुधारों की शुरुआत की।
उन्होंने कहा, ‘‘बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि स्कूली बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन योजना 1830 के दशक में केरल में मौजूद थी, जिसकी शुरुआत संत कुरियाक्कोस एलियास चावरा ने की थी।’’
केरल की समावेशिता और खुलेपन की विरासत की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के जातीय समूहों ने सदियों से केरल को अपना घर बनाया है, चाहे वे यहूदी हों, मुस्लिम हों, ईसाई हों या हिंदू।
उन्होंने कहा कि अपने आकर्षक इतिहास और संस्कृति तथा उल्लेखनीय सामाजिक प्रगति के बावजूद आज केरल को ‘‘डेविल्स ओन बैकयार्ड’’ भी कहा जाता है जो मुख्य रूप से इसके निवेशक संरक्षण में पिछड़ने और कारोबार की सुगमता में पीछे रहने के निराशाजनक प्रदर्शन का परिणाम है।
राज्य में अचानक होने वाली हड़तालों और अपनी मांगें मनवाने के लिए दिए जाने वाले धरनों का जिक्र करते हुए थरूर ने कहा कि ऐसे समय में जब विश्व बैंक ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में भारत का सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उल्लेख किया है, केरल को इन उम्मीदों पर भी खरा उतरने की जरूरत है ।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी अनुपात के मामले में यह जम्मू कश्मीर के बाद दूसरा सबसे खराब राज्य है और यह एक निराशाजनक स्थिति है जहां कुशल लोगों को बेरोजगार रखा जाता है। उन्होंने कहा कि विदेशों से आने वाली रकम के धीरे-धीरे कम होने के कारण संकट और भी विकट होता जा रहा है जो कभी राज्य की अर्थव्यवस्था की ताकत हुआ करती थी।
डॉ. थरूर ने कहा कि बेहतरीन क्षमता होने के बावजूद राज्य आईटी क्षेत्र में भी पिछड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक पहलू यह है कि अब केरल के निवेश संवर्धन और सुविधाओं में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक अभियान के हिस्से के रूप में नियामक मंजूरी, वित्तीय पैकेज, और महिलाओं और स्टार्ट-अप को विशेष सहायता देकर निवेशकों और उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए एक समेकित दृष्टिकोण शुरू करने के लिए तैयार है।
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