तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुझाई गई प्रक्रिया ''''बोझिल'''',फिर से विचार करने की जरूरत:न्यायालय
punjabkesari.in Thursday, Dec 08, 2022 - 11:25 PM (IST)
नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए केंद्र द्वारा सुझाई गई प्रक्रिया ''''बहुत बोझिल'''' है। शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सरल प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, ताकि न्यायाधीशों की नियुक्ति का वास्तविक उद्देश्य विफल न हो।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर अनुच्छेद 224ए के तहत केंद्र द्वारा सुझाई गई ‘‘कठिन’’ प्रक्रिया अपनाई जाती है तो कोई भी ऐसे हालात में काम नहीं करना चाहेगा।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की पीठ ने कहा, "हम तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुझाई गई प्रक्रिया को बोझिल पाते हैं। इसे सरल बनाया जाना चाहिए ताकि वास्तविक उद्देश्य विफल न हो।"
शीर्ष अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी और एक पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार से केंद्र द्वारा सुझाए गए प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) पर फिर से विचार करने और इसे सरल बनाने का प्रयास करने को कहा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर अनुच्छेद 224ए के तहत केंद्र द्वारा सुझाई गई ‘‘कठिन’’ प्रक्रिया अपनाई जाती है तो कोई भी ऐसे हालात में काम नहीं करना चाहेगा।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की पीठ ने कहा, "हम तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुझाई गई प्रक्रिया को बोझिल पाते हैं। इसे सरल बनाया जाना चाहिए ताकि वास्तविक उद्देश्य विफल न हो।"
शीर्ष अदालत ने केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी और एक पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार से केंद्र द्वारा सुझाए गए प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) पर फिर से विचार करने और इसे सरल बनाने का प्रयास करने को कहा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।