कॉलेजियम प्रणाली को बाधित करने के लिए उच्च प्राधिकार का इस्तेमाल कर रही सरकार: तृणमूल सांसद
punjabkesari.in Thursday, Dec 08, 2022 - 07:35 PM (IST)
नयी दिल्ली, आठ दिसंबर (भाषा) तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को बाधित करने के लिए उच्च पदाधिकारियों का इस्तेमाल कर रही है क्योंकि वह न्यायपालिका समेत हर जगह अपने अधिकार बढ़ाना चाहती है।
लोकसभा में शून्यकाल में रॉय ने कहा कि शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के साथ 99वें संशोधन को खारिज कर दिया था और परिणाम स्वरूप न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली जारी रही।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के खिलाफ और कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ उच्च प्राधिकार और कानून मंत्री की टिप्पणियों का विरोध करता हूं। हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बाधित करने के समस्त प्रयासों का भी विरोध करते हैं जो संविधान का एक स्तंभ है और जिसे सरकार कमजोर करने का प्रयास कर रही है।’’
रॉय ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली अपने आप में संपूर्ण नहीं है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि इसे जारी रखना चाहिए क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा सत्ता की निरंकुशता के खिलाफ यह बड़ी ‘गारंटी’ है।
उन्होंने कानून मंत्री किरेन रीजीजू के संदर्भ में कहा, ‘‘हम उन्हें गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि वह बातूनी मंत्री हैं।’’
रीजीजू ने हाल ही में कॉलेजियम प्रणाली को संविधान के लिए ''एलियन'' बताया था।
उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को उच्च सदन में अपने पहले भाषण में एनजेएसी को खारिज करने के लिए न्यायपालिका की आलोचना की और इसे संसदीय संप्रभुता से गंभीर समझौते की घटना करार दिया था।
सभापति ने कहा कि संविधान के तीनों स्तंभों को ‘लक्ष्मण रेखा’ का ध्यान रखना चाहिए।
वह पहले भी दो बार इस तरह की राय व्यक्त कर चुके हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
लोकसभा में शून्यकाल में रॉय ने कहा कि शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के साथ 99वें संशोधन को खारिज कर दिया था और परिणाम स्वरूप न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली जारी रही।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के खिलाफ और कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ उच्च प्राधिकार और कानून मंत्री की टिप्पणियों का विरोध करता हूं। हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बाधित करने के समस्त प्रयासों का भी विरोध करते हैं जो संविधान का एक स्तंभ है और जिसे सरकार कमजोर करने का प्रयास कर रही है।’’
रॉय ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली अपने आप में संपूर्ण नहीं है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि इसे जारी रखना चाहिए क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा सत्ता की निरंकुशता के खिलाफ यह बड़ी ‘गारंटी’ है।
उन्होंने कानून मंत्री किरेन रीजीजू के संदर्भ में कहा, ‘‘हम उन्हें गंभीरता से नहीं लेते क्योंकि वह बातूनी मंत्री हैं।’’
रीजीजू ने हाल ही में कॉलेजियम प्रणाली को संविधान के लिए ''एलियन'' बताया था।
उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को उच्च सदन में अपने पहले भाषण में एनजेएसी को खारिज करने के लिए न्यायपालिका की आलोचना की और इसे संसदीय संप्रभुता से गंभीर समझौते की घटना करार दिया था।
सभापति ने कहा कि संविधान के तीनों स्तंभों को ‘लक्ष्मण रेखा’ का ध्यान रखना चाहिए।
वह पहले भी दो बार इस तरह की राय व्यक्त कर चुके हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
Rang Panchami: कब मनाया जाएगा रंग पंचमी का त्योहार, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने कार्यकारी अध्यक्ष संजय अवस्थी व चंद्रशेखर को सौंपा ये दायित्व
मैड़ी मेले में आए अमृतसर के श्रद्धालु की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, पुलिस जांच में जुटी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुड फ्राइडे के अवसर पर प्रभु यीशु मसीह को किया नमन