समुद्री लूटपाट की रोकथाम वाला विधेयक लोकसभा में पेश, विपक्ष की मृत्युदंड का प्रावधान हटाने की मांग

punjabkesari.in Wednesday, Dec 07, 2022 - 07:08 PM (IST)

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को लोकसभा में समुद्री लूटपाट की रोकथाम से संबंधित विधेयक पेश किया। वहीं, कई विपक्षी दलों विधेयक से मृत्युदंड का प्रावधान हटाने की मांग की।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सदन में ‘समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक, 2019’ को चर्चा एवं पारित करने के लिए रखा।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में समुद्री क्षेत्र में जलदस्युओं से होने वाली समस्या से निपटने के लिए कोई प्रावधान नहीं था, ऐसे में सरकार यह विधेयक लेकर आई।

उन्होंने कहा कि उक्त विधेयक दिसंबर 2019 में सरकार संसद में लाई थी और इसे अध्ययन के लिए संसदीय समिति को भेजा गया था।

जयशंकर ने कहा कि सरकार ने समिति की 18 में से 14 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है, वहीं तीन सिफारिशें टिप्पणी की प्रकृति की हैं। उन्होंने कहा कि इन सिफारिशों और कई दौर की बातचीत के बाद विधेयक का मसौदा तैयार किया गया।

उन्होंने बताया कि पहले इस विधेयक में मृत्युदंड का प्रावधान था, लेकिन संशोधित विधेयक में इसके साथ आजीवन कारावास की सजा को भी जोड़ा गया है।

विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक समुद्री लूटपाट के खिलाफ उत्तर अरब और पश्चिम हिंद महासागर में भारत के हितों की रक्षा करता है।

उन्होंने कहा कि विधेयक में अभी कुछ चीजें हैं जिन पर स्पष्टता की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता में हत्या के प्रयास में मृत्युदंड का प्रावधान नहीं है, लेकिन इस विधेयक में इस बारे में स्पष्टता नहीं है।

तिवारी ने कहा कि अगर इस संबंध में विधेयक का मसौदा बनाने में कोई त्रुटि हुई है तो इसे सही किया जाना चाहिए।
चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के पी पी चौधरी ने कहा कि विधेयक का प्रमुख उद्देश्य समुद्री लूटपाट को रोकना है और उसे अपराध की श्रेणी में लाना है। उन्होंने कहा कि लंबे समय से देश में ऐसे किसी कानून का इंतजार था।

वहीं, बीजू जनता दल के बी महताब ने कहा कि ‘‘सबसे बड़े लुटेरे तो अंग्रेज ही थे इसलिए उन्होंने इसे कानून में अपराध नहीं माना था’’ और यही कारण है कि आईपीसी में इसे अपराध नहीं माना गया।
उन्होंने कहा कि इस विषय पर कानून की बहुत जरूरत थी।

शिवसेना (उद्धव) के विनायक राउत ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने में मदद मिलेगी।

जनता दल (यूनाइटेड) के आलोक कुमार सुमन ने कहा कि विधेयक में मृत्युदंड की जगह 12 साल या 15 साल की कैद की सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि सरकार को इस विधेयक में मृत्युदंड के प्रावधान को हटाकर उम्रकैद का ही प्रावधान रखना चाहिए।

बहुजन समाज पार्टी के दानिश अली ने भी मृत्युदंड के प्रावधान को हटाने और केवल उम्रकैद की सजा को विधेयक में रखने की मांग सरकार से की।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने कहा कि इस विधेयक में भविष्य के मद्देनजर साइबर हमलों के संदर्भ में कुछ नहीं कहा गया है।

आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि सरकार को समुद्री क्षेत्र के अपराधों के मामले में एक व्यापक कानून लाना चाहिए।


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