वन्यजीव विधेयक पर विपक्ष का आरोप : सरकार संघवाद की भावना का पालन नहीं कर रही

punjabkesari.in Wednesday, Dec 07, 2022 - 06:51 PM (IST)

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में बुधवार को विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने वन्यजीवों से संबंधित एक अहम विधेयक पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि वह संघवाद की भावना का पालन नहीं कर रही और राज्यों के अधिकारों को विभिन्न उपायों से अपने हाथ में लेना चाहती है।
उच्च सदन में सदस्य वन्यजीव संरक्षण संशोधन विधेयक, 2022 पर चर्चा में भाग ले रहे थे।

इससे पहले पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने यह विधेयक चर्चा के लिए सदन में पेश किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह विधेयक 1972 के एक कानून में संशोधन के लिए लाया गया है।

उन्होंने विधेयक की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि लुप्त हो रहे वन्यजीवों और संपदा की सुरक्षा के लिए विभिन्न देशों के बीच 1976 में एक संधि हुई है और भारत भी उसका सदस्य है। उन्होंने कहा कि इस संधि के तहत हर देश को अवैध व्यापार को रोकने एवं संबंधित नियमन के लिए एक कानून बनाने का प्रावधान किया गया है।

यादव ने कहा कि तत्कालीन संप्रग सरकार ने 2005 में इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आश्वासन दिया था लेकिन उसने उसे पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि यह सरकार इस आश्वासन को पूरा करने के साथ ही 1972 के कानून में संशोधन करना चाहती है।


विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के विवेक तन्खा ने कहा कि वन्यजीवों पर कानून बनाने का अधिकार पहले राज्यों के पास था। उन्होंने कहा कि 1970 के दशक में संविधान संशोधन के बाद इस विषय को समवर्ती सूची में डाल दिया गया।
उन्होंने कहा कि यदि कोई विधेयक स्थायी समिति या प्रवर समिति में नहीं जाता है तो उसमें कई पक्ष छूट जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में हाथियों के परिवहन को लेकर बहुत सारे मुद्दे हैं जिन पर ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि अभी तक हाथियों के स्वामियों की पूरी तरह से सूची भी तैयार नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि विलुप्तप्राय प्राणियों को रखने के लिए व्यक्ति को समुचित प्राधिकारियों के समक्ष एक घोषणापत्र देना होता है। उन्होंने कहा कि किंतु कानून में किसी तीसरे पक्ष को यह अधिकार नहीं दिया गया है कि वह ऐसे प्राणियों को रखने वाले व्यक्तियों की शिकायत समुचित प्राधिकारियों से कर सके।
उन्होंने कहा कि वन्यजीव संबंधी विधेयक को प्रभावी बनाने के लिए जनभागीदारी बढ़ानी पड़ेगी।

द्रमुक की कानिमोझी एनवीएम सोमू ने कहा कि पिछले 200 वर्षों में मानव की आबादी कई गुना बढ़ी है और इसका अर्थ है कि प्राकृतिक संसाधन की खपत बहुत बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि इसके कारण विश्व भर में विभिन्न प्राणियों के विलुप्त होने का खतरा बहुत बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले 40 वर्ष में कई स्तनपायी प्राणियों की प्रजातियां विलुप्त हो गयी हैं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में शेरों एवं हाथियों सहित वन्यजीवों को बचाने के लिए कई परियोजनाओं का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बृजलाल ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह विधेयक वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़ी एक अंतरराष्ट्रीय संधि के कारण लाया गया जिस पर 180 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत में कई ऐसी वनस्पतियां और वृक्ष हैं जिनके उत्पादों के निर्यात से देश को लाभ होता है। उन्होंने कहा कि इनकी रक्षा के लिए यह विधेयक आवश्यक है।

बृजलाल ने कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से देश में होने वाली लाल चंदन की तस्करी को रोकने में मदद मिलेगी।
बीजू जनता दल (बीजद) की सुलता देव ने कहा कि हमारा देश वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करता है जिसके अनुसार सभी को जोड़कर सुरक्षित रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल कड़े कानून बनाने से काम नहीं चलेगा बल्कि उनका निचले स्तर तक पालन जरूरी है।
उन्होंने ओडिशा सरकार द्वारा राज्य में ओलिफ रिडले कछुओं सहित विभिन्न प्राणियों की सुरक्षा के लिए उठाये जा रहे कदमों की जानकारी दी।

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अयोध्या रामी रेड्डी ने कहा कि औद्योगिकीकरण व विकास गतिविधियों के कारण मनुष्य एवं वन्य जीवों के बीच टकराव की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इसको टालने के लिए प्रस्तावित कानून में उपयुक्त उपाय किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश ने काले हिरण की गणना के लिए एक पहल शुरू की है जो देश में अपनी तरह की पहली पहल है।

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