जी-20 की अध्यक्षता के दौरान ‘वैश्विक दक्षिण’ की मजबूत आवाज बनेगा भारत : सरकार

punjabkesari.in Wednesday, Dec 07, 2022 - 06:28 PM (IST)

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) सरकार ने बुधवार को संसद में कहा कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान उसका प्रयास ‘वैश्चिक दक्षिण’ क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों सहित कई वैश्विक मुद्दों पर आम सहमति बनाने तथा देश के ‘‘थ्री डी’’ यानी डेमोक्रेसी, डेवलपमेंट और डायवर्सिटी (लोकतंत्र, विकास और विविधता) को रेखांकित करने पर होगा।
राज्यसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ‘‘भारत की विदेश नीति में नवीनतम घटनाक्रम’’ विषय पर दिये बयान में यह बात कही। लोकसभा में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने उक्त बयान को पढ़ा।

उच्च सदन में जयशंकर ने कहा कि देश में जी-20 की बैठकें ‘‘भू-राजनीतिक संकट, खाद्य और ऊर्जा असुरक्षा और टिकाऊ विकास लक्ष्य की गति और कर्ज के बढते बोझ’’ के व्यापक संदर्भ में आयोजित हो रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा प्रयास जी-20 के भीतर आम सहमति बनाना और विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के मुद्दों को आकार देना तथा साथ ही इस एजेंडे को आगे बढ़ाना है।’’
ज्ञात हो कि ‘वैश्विक दक्षिण’ (ग्लोबल साउथ) का आशय अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबियाई क्षेत्र, प्रशांत द्वीप एवं एशिया के विकासशील देशों से हैं जो दक्षिणी गोलार्द्ध पर स्थित हैं।

जयशंकर ने कहा कि सरकार जी-20 के सभी सदस्यों से भारत की अध्यक्षता में होने वाले आयोजन की सफलता के लिए समर्थन और सहयोग भी मांग रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘ जी-20 देशों की अध्यक्षता हमारे लिये भारत के ‘तीन डी’ डेवेलपमेंट (विकास), डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) और डायवर्सिटी (विविधता) के आयामों को पेश करने का अवसर होगा।’’
उन्होंने कहा कि जी-20 बैठकों का आयोजन भारत की मेजबानी में होने वाले ‘‘शीर्ष अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में से एक’’ होगा। विदेश मंत्री ने कहा कि जी-20 से जुड़ी बैठकें भारत में पहले ही शुरू हो चुकी हैं और देश भर में विभिन्न स्थानों पर 32 विभिन्न क्षेत्रों की ऐसी 200 बैठकों का आयोजन किया जाएगा।

वहीं, निचले सदन में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा कि यूक्रेन संघर्ष के परिप्रेक्ष्य में बातचीत और कूटनीति की वकालत करने का भारत का पक्ष सतत रूप से कायम है।
उन्होंने कहा कि समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक भावनाओं को अभिव्यक्त किया था, जब उन्होंने कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है।

लेखी ने कहा, ‘‘ उनका (प्रधानमंत्री का) बयान यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में था जिस पर बातचीत और कूटनीति की वकालत करने का हमारा पक्ष सतत रूप से कायम है। यह व्यापक रूप से प्रतिबिंबित भी हुआ है।’’
विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि हमने खाद्यान्न, उर्वरकों की आपूर्ति के अलावा परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा जैसी विशिष्ट चिंताओं पर अपना समर्थन दिया है।
लेखी ने कहा कि इस मुद्दे पर हमारे रुख की अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा सराहना की गई है और जी-20 बाली घोषणापत्र में यह प्रदर्शित भी हुआ है।
वहीं, राज्यसभा में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि यह समूह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 85 प्रतिशत, विश्वव्यापी व्यापार के 75 प्रतिशत और वैश्विक आबादी के दो तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा है कि भारत को ‘‘आजादी के अमृत महोत्सव’’ में जी-20 की अध्यक्षता मिलना प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।
जयशंकर ने कहा कि ध्रुवीकरण वाले माहौल में सदस्यों के बीच एक साझा आधार खोजने में भारत के योगदान की व्यापक रूप से सराहना की गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि हम जिम्मेदारी (जी-20 की अध्यक्षता) संभाल रहे हैं, इसलिए यह भारत की अध्यक्षता की सफलता के लिए सभी जी-20 सदस्यों का समर्थन और सहयोग मांगने का भी समय है।’’
इसके अलावा, उन्होंने उच्च सदन में यह भी बताया कि भारत ने मिस्र के राष्ट्रपति आब्देल फतह अल-सीसी को अगले साल गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक गणतंत्र दिवस समारोह का सवाल है, हमने मिस्र के राष्ट्रपति आब्देल फतह अल-सीसी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है और उन्होंने विनम्रतापूर्वक निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।’’
इसके अलावा, जयशंकर ने यह भी कहा कि काशी को 2022-23 के लिए पहली एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) सांस्कृतिक और पर्यटन राजधानी के रूप में नामित किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमारी सदियों पुरानी ज्ञान विरासत और सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी।’’

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