भारतीय नौसेना का लक्ष्य 2047 तक आत्मनिर्भर बनना: एडमिरल आर हरि कुमार

punjabkesari.in Saturday, Dec 03, 2022 - 08:51 PM (IST)

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) उभर रहे क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य और चीन की बढ़ती नौसैन्य ताकत की पृष्ठभूमि में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना अपनी संपूर्ण सैन्य क्षमता को बढ़ाने के लिए दूसरे स्वेदशी विमान वाहक पोत (आईएसी) के बारे में विचार कर ही है और वह अमेरिका से प्रीडेटर समेत कई उपकरणों को खरीदने वाली है।

हरि कुमार ने नौसेना दिवस से एक दिन पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नौसेना को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए 2047 की समयसीमा तय की गयी है।

उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक अतीत से पीछा छुड़ाने की कवायद जारी है क्योंकि ‘‘हम इस विचार का दृढ़ता से समर्थन करते हैं कि हमें गुलामी की मानसिकता से छुटकारा पाना है।’’
नौसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना अगले साल साल से महिलाओं के लिए अपनी सभी शाखाएं खोलने वाली है।
चीन से संभावित चुनौतियों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि नौसना हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के विभिन्न सैन्य एवं जासूसी पोत की आवाजाही पर कड़ी नजर रख रही है।

नौसेना की अभियानगत क्षमता को बढ़ाने के लिए की गयी पहलों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्वदेशी दोहरे इंजन वाले पोत आधारित विमान के लिए कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार किया जा रहा है और 2026 तक इस जेट विमान की प्रतिकृति बना लेने की योजना है तथा 2032 तक उसका उत्पादन शुरू हो जाएगा।
नौसेना कराची बंदरगाह पर अपने साहसिक हमले तथा 1971 की भारत-पाक लड़ाई में अपनी निर्णायक जीत की याद में चार दिसंबर को नौसेना दिसंबर मनाती है।

नौसेना प्रमुख ने कहा कि नौसेना इस बारे में विचार कर रही है कि स्वदेशी विमान वाहक पोत (आईएसी)2 की दिशा में आगे बढ़ा जाए, या आईएसी-1 का आर्डर दोहराने को प्राथमिकता दी जाए।

नौसेना आईएसी-2 पर जोर दे रही है। इस पर 50,000 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
जब नौसेना प्रमुख से आईएसी-2 के बारे में पूछा गया, तब उन्होंने कहा, ‘‘ हम अब भी इसबारे में विचार कर रहे हैं कि इसका आकार क्या होना चाहिए और उसकी क्षमता क्या होनी चाहिए? फिलहाल हमने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है क्योंकि हमने अभी-अभी आईएनएस विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल किया है। परीक्षण के दौरान इस पोत ने जो प्रदर्शन किये उससे हम बहुत खुश हैं।’’
भारत के पहले स्वदेश निर्मित विमान वाहक आईएनएस विक्रांत (आईएसी-1) को सितंबर में नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। इस विमानवाहक पोत पर करीब 23,000 करोड़ रूपये का खर्च आया था।

इस मुद्दे से अवगत लोगों का कहना है कि आईएसी-2 के निर्माण की लागत चर्चा का बड़ा विषय है क्योंकि रक्षा प्रतिष्ठान में एक दृष्टिकोण यह है कि नौसेना को विमान वाहक पोत पर 50,000 करोड़ रुपये खर्च करने के बजाय पनडुब्बियों के अपने बेड़े को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ यह (आईएसी-1) पूर्ण रूप से ‘आत्मनिर्भरता’ है। इसलिए हम फिलहाल यह आकलन कर रहे हैं कि देश में जो संसाधन उपलब्ध है उसे पूंजी में तब्दील करने के लिए क्या आईएसी-2 की दिशा में बढ़ने के बजाय आईएसी-1 का आर्डर दोबारा करने पर विचार करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ फिलहाल यह चर्चा के चरण में है। हमने अपना अभी अपना मन नहीं बनाया है और न ही हमने सरकार के समक्ष यह विषय रखा है।’’
उन्होंने कहा कि हाल की वैश्विक घटनाओं ने पर्याप्त रूप से यह रेखांकित किया है कि यदि नौसेना अपनी सुरक्षा जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर रही तो वह दृष्टिकोण सही मायने में नहीं हासिल हो सकता है। उन्होंने प्रतिरोधक क्षमता पर बल दिया।
एडमिरल हरि कुमार ने शनिवार को कहा कि अमेरिका से ‘प्रीडेटर’ ड्रोन के एक बेड़े की प्रस्तावित खरीद का विषय प्रक्रिया में है तथा विविध सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए नौसेना एक बड़ी क्षमता वृद्धि की ओर अग्रसर है।

नौसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि हल्के लड़ाकू विमान (नौसेना संस्करण) परियोजना से बंदरगाह आधारित लड़ाकू विमानों की प्रस्तावित अगली पीढ़ी के विकास में बहुत मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि विमानों का उत्पादन 2032 तक शुरू होगा।

एडमिरल हरि कुमार ने कहा कि नौसेना ने पिछले एक साल में अभियानगत क्षमता में बड़ी कामयाबी हासिल की है तथा समुद्री सुरक्षा की अहमियत पर अधिक बल दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि नौसेना पुरानी पड़ चुकी प्रथाओं को छोड़ने की प्रक्रिया में है।

उन्होंने सशस्त्र बलों के तीनों अंगों के बीच तालमेल पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे हिसाब से, जब हम कल की युद्ध को लड़ने और जीतने की तैयारी करते हैं तो एक होकर चलना ही आगे का मार्ग है । दिवंगत जनरल बिपिन रावत ने सशस्त्र बलों में तालमेल बढ़ाने की बुनियाद दी। और वर्तमान सीडीएस अनिल चौहान ने उस प्रयास को एक गति प्रदान की है।’’
एडमिरल आर हरि कुमार ने यह भी कहा कि अभियानगत क्षमता की दृष्टि से देखा जाए तो गत एक साल नौसेना का बहुत व्यस्त समय रहा है। उन्होंने कहा कि आईएनएस विक्रांत को नौसेना के बेड़े में शामिल करना भारत के लिए ऐतिहासिक घटना है।

उन्होंने कहा कि नौसेना का लक्ष्य देश के लिए ‘भारत में निर्मित’ सुरक्षा उपकरण हासिल करना है। उन्होंने कहा कि नौसेना में करीब 3,000 अग्निवीर शामिल किये गये हैं, जिनमें से 341 महिलाएं हैं।

नौसेना प्रमुख ने कहा कि पहली बार ‘‘हम महिला नाविकों को नौसेना में शामिल कर रहे हैं।’’
प्रीडेटर ड्रोनों की खरीद के बारे में नौसेना प्रमुख ने कहा कि यह मामला प्रक्रिया में है।

इस खरीद से जुड़ा मूल प्रस्ताव, चीन से लगी सीमा और हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए तीन अरब डॉलर की लागत से 30 एमक्यू-9 बी प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन खरीदने का था।

नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ खरीद का यह विषय प्रक्रिया में है। हम इस बात पर चर्चा कर रहे है कि क्या (ड्रोन की) संख्या को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है।’’


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