कांग्रेस का ‘देपसांग में चीनी आश्रय स्थल’ को लेकर सरकार पर हमला

punjabkesari.in Saturday, Dec 03, 2022 - 08:10 PM (IST)

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने लद्दाख के देपसांग इलाके में चीन द्वारा आश्रय स्थल (शेल्टर) बनाने संबंधी खबरों का हवाला देते हुए इस मुद्दे पर सरकार की ‘‘चुप्पी’’ को लेकर शनिवार को सवाल उठाया और पूछा कि अप्रैल 2020 से पहले की यथास्थिति सुनिश्चित करने के लिए वह क्या कदम उठा रही है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने पिछले महीने इंडोनेशिया में जी-20 शिखर सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से हाथ मिलाने को लेकर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। कांग्रेस के आरोपों पर सरकार की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की। खरगे एक ट्वीट में कहा, ‘‘गलवान में 20 भारतीय वीरों के बलिदान के बाद नरेंद्र मोदी जी ने चीन को क्लीन चिट दे दी। देपसांग, पैंगोंग सो झील क्षेत्र और गोगरा हॉट स्प्रिंग्स में चीनी घुसपैठ और निर्माण के लिए एक और क्लीन चिट का मसौदा तैयार किया जा रहा है? राष्ट्र जवाब का हकदार है प्रधानमंत्री जी।’’
कांग्रेस चीन के साथ सीमा मुद्दों से निपटने के लिए सरकार पर हमला करती रही है, वहीं अधिकारियों ने कहा है कि भारत के हाल के वर्षों में सीमा के आसपास बुनियादी ढांचे में वृद्धि करने के साथ केंद्र ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद इसे काफी बढ़ावा दिया है।

श्रीनेत ने यहां अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘15 नवंबर को मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की। वह गुस्से में लाल आंखें नहीं दिखा रहे थे, वह वास्तव में एक लाल कमीज पहन रहे थे और मुझे हैरानी है कि हमारे बहादुर सैनिकों में से 20 के सर्वोच्च बलिदान के बाद उन्होंने शी चिनफिंग से मुलाकात में क्या बात की।’’
मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देपसांग के इलाके में चीन ने तापमान नियंत्रित ‘‘आश्रय स्थल’’ बनाए हैं, जो किसी भी सैन्यकर्मी को स्थायी रूप से तैनात रहने में मदद करते हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के 15-18 किलोमीटर अंदर हमारे क्षेत्र में ऐसे दो सौ आश्रय स्थल बनाए हैं।’’
श्रीनेत ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री मोदी, उनकी सरकार या विदेश मंत्रालय की ओर से एक भी बयान क्यों नहीं आया है। उन्होंने कहा, ‘‘याद रखें, देपसांग और डेमचोक हमारे लिए अत्यंत रणनीतिक स्थान हैं। यह भी याद रखें कि चीन देपसांग क्षेत्र के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रहा है।’’
श्रीनेत ने कुछ तस्वीरों को भी दिखाया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि उपग्रह चित्र दिखा रहे हैं कि चीन जमीन और समुद्र दोनों पर ‘‘विशाल किलेबंदी’’ कर रहा है। उन्होंने दावा किया, ‘‘वास्तव में, पैंगोंग सो झील क्षेत्र के आसपास, चीन ने पीएलए डिवीजन मुख्यालय, सैन्य ठिकाने, तोपखाने और एंटी-एयरक्राफ्ट को रखने की जगह का निर्माण किया है।’’
श्रीनेत ने कहा, ‘‘चीन मोदी की चुप्पी और प्रधानमंत्री द्वारा दी गई क्लीन चिट से उत्साहित हो रहा है कि किसी ने भी हमारे क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है।’’ श्रीनेत ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री ‘‘दूसरी दिशा में क्यों देख रहे हैं, जब डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में स्थायी आश्रयों और किलेबंदी का निर्माण किया जा रहा है।’’
श्रीनेत ने यह भी पूछा कि देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से चीनियों को खदेड़ने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘एक सवाल जो भारतीय सशस्त्र बल उठा रहे हैं, एक सवाल जो अतीत और वर्तमान के कई सैन्यकर्मी तथा रक्षा विशेषज्ञ उठा रहे हैं, वह यह कि भारत अप्रैल 2020 की यथास्थिति में कब लौटेगा और यथास्थिति सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।’’
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस इन मुद्दों को संसद सहित सभी उपलब्ध मंचों पर उठाएगी। पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों के साथ अपनी तैनाती बढ़ा दी।

कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने पिछले साल पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे तथा गोगरा क्षेत्र में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी की।



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