फुट ओवरब्रिज को दिव्यांग अनुकूल बनाने पर अदालत ने दिल्ली सरकार से मांगी रिपोर्ट
punjabkesari.in Tuesday, Nov 29, 2022 - 06:40 PM (IST)

नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पैदल पारपथ (फुट ओवरब्रिज) को दिव्यांगों के अनुकूल बनाने पर दिल्ली सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी।
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, 110 पैदल पारपथ में से केवल 36 में लिफ्ट या एस्केलेटर (स्वचालित सीढ़ी) जैसी दिव्यांग अनुकूल यंत्रीकृत सहायता सुविधा है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियन प्रसाद की पीठ ने दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों की पैदल पारपथ और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “जो पुल दिव्यांगों के अनुकूल नहीं हैं, उनके लिए कुछ व्यवस्था करें।”
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि जहां ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, वहां भी वे काम नहीं कर रही हैं।
दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि चार महीने के भीतर एक सर्वेक्षण किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसके अधिकार क्षेत्र के तहत सभी 110 पैदल पारपथ को लिफ्ट या रैंप (ढलान) का निर्माण करके दिव्यांगों के अनुकूल बनाया जाए। उन्होंने इस कवायद को पूरा करने के लिए समय की मांग की।
अदालत ने कहा, “3 महीने के बाद मामले को सूचीबद्ध करें और किए गए कार्य के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें।”
पेशे से वकील, याचिकाकर्ता पंकज मेहता ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए लिफ्ट और एस्केलेटर जैसी सार्वजनिक सुविधाएं खस्ताहाल हैं और वो काम नहीं कर रही हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, 110 पैदल पारपथ में से केवल 36 में लिफ्ट या एस्केलेटर (स्वचालित सीढ़ी) जैसी दिव्यांग अनुकूल यंत्रीकृत सहायता सुविधा है।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियन प्रसाद की पीठ ने दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों की पैदल पारपथ और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “जो पुल दिव्यांगों के अनुकूल नहीं हैं, उनके लिए कुछ व्यवस्था करें।”
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि जहां ऐसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, वहां भी वे काम नहीं कर रही हैं।
दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि चार महीने के भीतर एक सर्वेक्षण किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उसके अधिकार क्षेत्र के तहत सभी 110 पैदल पारपथ को लिफ्ट या रैंप (ढलान) का निर्माण करके दिव्यांगों के अनुकूल बनाया जाए। उन्होंने इस कवायद को पूरा करने के लिए समय की मांग की।
अदालत ने कहा, “3 महीने के बाद मामले को सूचीबद्ध करें और किए गए कार्य के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें।”
पेशे से वकील, याचिकाकर्ता पंकज मेहता ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए लिफ्ट और एस्केलेटर जैसी सार्वजनिक सुविधाएं खस्ताहाल हैं और वो काम नहीं कर रही हैं।
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