सरसों तेल-तिलहन में नरमी, सोयाबीन, बिनौला की कीमतों में मामूली सुधार
punjabkesari.in Monday, Oct 03, 2022 - 07:02 PM (IST)
नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बावजूद सोमवार को स्थानीय बाजार में मूंगफली तेल-तिलहन, तिल, सीपीओ और पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। वहीं बिनौला की छुटपुट मांग से इसके भाव मामूली सुधार दर्शाते बंद हुए।
इसके अलावा किसानों के बुवाई में व्यस्त रहने से सरसों तेल-तिलहन के भाव में नरमी आई है।
बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्कमुक्त आयात का कोटा निर्धारित किये जाने के बाद बाकी आयात का काम लगभग रुक जाने की वजह से कम आपूर्ति की स्थिति के चलते दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज 0.35 प्रतिशत तेज था और शिकॉगो एक्सचेंज भी आधा प्रतिशत की तेजी पर है।
सूत्रों ने मुताबिक, सरकार ने खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ताओं (जो ग्राहकों को आपूर्ति करने के लिए आयात करते हैं) को अगले दो साल तक सालाना 20-20 लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का शुल्क-मुक्त आयात करने की छूट दी है। इसके बाद होने वाले आयात पर आयातकों को सात रुपये प्रति किलो के हिसाब से शुल्क अदा करना होगा। लेकिन कोटा वाले सस्ते आयातित तेल के मुकाबले बाकी आयातित तेलों के महंगा और गैर-प्रतिस्पर्धी होने के कारण आयातक नये सौदे नहीं खरीद रहे हैं। इसकी वजह से खाद्य तेलों में कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की स्थिति पैदा हो गई है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए अपने इस फैसले को बदलते हुए इन आयातित तेलों पर फिर से 20-30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा देना चाहिये और आयात की कोटा व्यवस्था खत्म कर देनी चाहिए। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, किसानों की फसल बाजार में खपेगी और आयात बढ़ने की वजह से खाद्य तेल भी सस्ते होंगे। इससे उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी।
सरकार को खाद्य तेलों की आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखने के लिए सोयाबीन डीगम और सूरजमुखी तेल के आयात की सीमा को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिये या पहले की तरह पांच प्रतिशत का आयात शुल्क लगा देना चाहिये। इस फैसले से आयात बढ़ने के बाद उपभोक्ताओं को भी सस्ते में खाद्य तेल उपलब्ध होगा।
सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,570-6,600 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली -6,900-6,965 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,900 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,640-2,810 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,060-2,190 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,130-2,245 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,000-19,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,810 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,000 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,700 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,900-5,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
इसके अलावा किसानों के बुवाई में व्यस्त रहने से सरसों तेल-तिलहन के भाव में नरमी आई है।
बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के शुल्कमुक्त आयात का कोटा निर्धारित किये जाने के बाद बाकी आयात का काम लगभग रुक जाने की वजह से कम आपूर्ति की स्थिति के चलते दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज 0.35 प्रतिशत तेज था और शिकॉगो एक्सचेंज भी आधा प्रतिशत की तेजी पर है।
सूत्रों ने मुताबिक, सरकार ने खाद्य तेल प्रसंस्करणकर्ताओं (जो ग्राहकों को आपूर्ति करने के लिए आयात करते हैं) को अगले दो साल तक सालाना 20-20 लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का शुल्क-मुक्त आयात करने की छूट दी है। इसके बाद होने वाले आयात पर आयातकों को सात रुपये प्रति किलो के हिसाब से शुल्क अदा करना होगा। लेकिन कोटा वाले सस्ते आयातित तेल के मुकाबले बाकी आयातित तेलों के महंगा और गैर-प्रतिस्पर्धी होने के कारण आयातक नये सौदे नहीं खरीद रहे हैं। इसकी वजह से खाद्य तेलों में कम आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की स्थिति पैदा हो गई है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए अपने इस फैसले को बदलते हुए इन आयातित तेलों पर फिर से 20-30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा देना चाहिये और आयात की कोटा व्यवस्था खत्म कर देनी चाहिए। इससे सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, किसानों की फसल बाजार में खपेगी और आयात बढ़ने की वजह से खाद्य तेल भी सस्ते होंगे। इससे उपभोक्ताओं को भी राहत मिलेगी।
सरकार को खाद्य तेलों की आपूर्ति श्रृंखला को बनाये रखने के लिए सोयाबीन डीगम और सूरजमुखी तेल के आयात की सीमा को पूरी तरह खत्म कर देना चाहिये या पहले की तरह पांच प्रतिशत का आयात शुल्क लगा देना चाहिये। इस फैसले से आयात बढ़ने के बाद उपभोक्ताओं को भी सस्ते में खाद्य तेल उपलब्ध होगा।
सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,570-6,600 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली -6,900-6,965 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,900 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,640-2,810 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,060-2,190 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,130-2,245 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,000-19,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 11,810 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,000 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,700 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,900-5,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
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