शीर्ष अदालत ने मीसा के तहत गिरफ्तार लोगों को पेंशन देने के अदालत के आदेश पर रोक लगाई
punjabkesari.in Friday, Sep 30, 2022 - 10:20 PM (IST)
नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के उस आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी जिसमें राज्य सरकार को आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम (मीसा) के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों को पेंशन देने का निर्देश दिया गया था।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने पेंशन पाने वाले 47 लोगों को नोटिस जारी किया। यह नोटिस उच्च न्यायालय के 25 जनवरी 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर जारी किया गया।
शीर्ष अदालत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका को तकनीकी तरीके से खारिज कर दिया है और यह नहीं माना कि अगर राज्य सरकार के पास लाभ देने की शक्ति है, तो उसके पास इसे वापस लेने की भी शक्ति है।
छत्तीसगढ़ की ओर से पेश अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने कहा कि यह योजना राज्य सरकार पर प्रति वर्ष लगभग 10 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ डालती है।
इस योजना के तहत आपातकाल के दौरान मीसा के तहत तीन महीने जेल में बिताने वाले लोगों को 10,000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे थे। छह महीने के लिए जेल जाने वाले लोगों को 15,000 रुपये प्रति माह और छह महीने से अधिक की जेल काटने वाले लोगों को 25,000 रुपये मिल रहे थे।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने पेंशन पाने वाले 47 लोगों को नोटिस जारी किया। यह नोटिस उच्च न्यायालय के 25 जनवरी 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की याचिका पर जारी किया गया।
शीर्ष अदालत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका को तकनीकी तरीके से खारिज कर दिया है और यह नहीं माना कि अगर राज्य सरकार के पास लाभ देने की शक्ति है, तो उसके पास इसे वापस लेने की भी शक्ति है।
छत्तीसगढ़ की ओर से पेश अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने कहा कि यह योजना राज्य सरकार पर प्रति वर्ष लगभग 10 करोड़ रुपये का वित्तीय बोझ डालती है।
इस योजना के तहत आपातकाल के दौरान मीसा के तहत तीन महीने जेल में बिताने वाले लोगों को 10,000 रुपये प्रति माह दिए जा रहे थे। छह महीने के लिए जेल जाने वाले लोगों को 15,000 रुपये प्रति माह और छह महीने से अधिक की जेल काटने वाले लोगों को 25,000 रुपये मिल रहे थे।
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