पंजाब विस सत्र: चर्चा किये जाने वाले मुद्दों में पराली जलाना, बिजली आपूर्ति शामिल
punjabkesari.in Monday, Sep 26, 2022 - 04:26 PM (IST)
चंडीगढ़, 26 सितंबर (भाषा) पंजाब विधानसभा का एक दिवसीय सत्र मंगलवार को यहां होगा जिसमें पराली जलाने, माल एवं सेवा कर और बिजली आपूर्ति से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
दिनभर का सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है क्योंकि विपक्ष कथित अवैध रेत खनन, सतलुज यमुना लिंक नहर और कानून व्यवस्था सहित विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरने की तैयारी में है।
पंजाब के विधानसभा सत्र आयोजित करने को लेकर राज्य के राजभवन और आप सरकार के बीच कई दिनों तक खींचतान के बाद राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने रविवार को 27 सितंबर को सदन आहूत करने की मंजूरी दे दी थी।
सत्र के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों के बारे में राज्यपाल को आप सरकार द्वारा सूचित किये जाने के एक दिन बाद उन्होंने सत्र आहूत करने की मंजूरी दी।
भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार ने शनिवार को राज्यपाल को सूचित किया था कि 27 सितंबर को विधानसभा के नियमित सत्र में पराली जलाने, माल एवं सेवा कर और बिजली आपूर्ति जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
राज्यपाल को यह भी बताया गया कि इसके अलावा, सत्र के दौरान सदस्यों से प्राप्त नोटिस के अनुसार विभिन्न मुद्दों पर कामकाज भी ''पंजाब विधानसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों'' के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार किया जा सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आप सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाती है या नहीं।
इससे पहले, राज्यपाल ने 22 सितंबर को एक विशेष सत्र आयोजित करने की अनुमति वापस ले ली थी, जब आप सरकार केवल विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती थी।
कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने एक दिवसीय सत्र को सोमवार को ''मजाक'' करार दिया और कहा कि इसे सतलुज यमुना संपर्क नहर, बेअदबी और बेमौसम बारिश के कारण फसल के नुकसान जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए आहूत किया जाना चाहिए था।
खैरा ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘विधानसभा का कल का सत्र एक मजाक है क्योंकि लोगों के पैसे खर्च करने के बाद, कोई प्रश्न-काल नहीं होगा क्योंकि सरकार को जवाब देने के लिए 15 दिनों के नोटिस की आवश्यकता होती है। इसे केवल दो मुद्दों के बजाय बेदबी, फसल नुकसान जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उचित रूप से आहूत किया जाना चाहिए था।’’
शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ‘‘भ्रष्टाचार, अवैध रेत खनन, बिगड़ती" कानून व्यवस्था और आबकारी नीति सहित राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए सत्र को और दिनों तक आयोजित किया जाना चाहिए था।
चीमा ने कहा कि अगर आप विश्वास प्रस्ताव लाकर ''नाटक'' करना चाहती है तो सत्र आयोजित करने का कोई मतलब नहीं है।
आम आदमी पार्टी ने हाल में दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत राज्य की छह महीने पुरानी सरकार को गिराने के लिए पार्टी के कम से कम 10 विधायकों से 25 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ संपर्क साधा था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
दिनभर का सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है क्योंकि विपक्ष कथित अवैध रेत खनन, सतलुज यमुना लिंक नहर और कानून व्यवस्था सहित विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार को घेरने की तैयारी में है।
पंजाब के विधानसभा सत्र आयोजित करने को लेकर राज्य के राजभवन और आप सरकार के बीच कई दिनों तक खींचतान के बाद राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने रविवार को 27 सितंबर को सदन आहूत करने की मंजूरी दे दी थी।
सत्र के दौरान उठाए जाने वाले मुद्दों के बारे में राज्यपाल को आप सरकार द्वारा सूचित किये जाने के एक दिन बाद उन्होंने सत्र आहूत करने की मंजूरी दी।
भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार ने शनिवार को राज्यपाल को सूचित किया था कि 27 सितंबर को विधानसभा के नियमित सत्र में पराली जलाने, माल एवं सेवा कर और बिजली आपूर्ति जैसे मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
राज्यपाल को यह भी बताया गया कि इसके अलावा, सत्र के दौरान सदस्यों से प्राप्त नोटिस के अनुसार विभिन्न मुद्दों पर कामकाज भी ''पंजाब विधानसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों'' के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार किया जा सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि आप सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाती है या नहीं।
इससे पहले, राज्यपाल ने 22 सितंबर को एक विशेष सत्र आयोजित करने की अनुमति वापस ले ली थी, जब आप सरकार केवल विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती थी।
कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने एक दिवसीय सत्र को सोमवार को ''मजाक'' करार दिया और कहा कि इसे सतलुज यमुना संपर्क नहर, बेअदबी और बेमौसम बारिश के कारण फसल के नुकसान जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के लिए आहूत किया जाना चाहिए था।
खैरा ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘विधानसभा का कल का सत्र एक मजाक है क्योंकि लोगों के पैसे खर्च करने के बाद, कोई प्रश्न-काल नहीं होगा क्योंकि सरकार को जवाब देने के लिए 15 दिनों के नोटिस की आवश्यकता होती है। इसे केवल दो मुद्दों के बजाय बेदबी, फसल नुकसान जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उचित रूप से आहूत किया जाना चाहिए था।’’
शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि ‘‘भ्रष्टाचार, अवैध रेत खनन, बिगड़ती" कानून व्यवस्था और आबकारी नीति सहित राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए सत्र को और दिनों तक आयोजित किया जाना चाहिए था।
चीमा ने कहा कि अगर आप विश्वास प्रस्ताव लाकर ''नाटक'' करना चाहती है तो सत्र आयोजित करने का कोई मतलब नहीं है।
आम आदमी पार्टी ने हाल में दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत राज्य की छह महीने पुरानी सरकार को गिराने के लिए पार्टी के कम से कम 10 विधायकों से 25 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ संपर्क साधा था।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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