प्रधान न्यायाधीश ने मामलों को विलोपित किये जाने के विषय पर वरिष्ठ अधिवक्ता की याचिका का संज्ञान लिया
punjabkesari.in Wednesday, Aug 17, 2022 - 09:41 PM (IST)
नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने मामलों को सूचीबद्ध और विलोपित करने में शीर्ष न्यायालय की रजिस्ट्री के कामकाज के तौर-तरीकों को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष दुष्यंत दवे की दलीलों का बुधवार को संज्ञान लिया।
न्यायमूर्ति रमण इस साल 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उन्होंने 48वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर 24 अप्रैल 2021 को पदभार संभाला था।
दवे ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ‘‘हमने कल रात आठ बजे तक ब्रीफ पढ़ी। हमारे कई कांफ्रेंस भी थे और उस विषय को सूची से विलोपित कर दिया गया...यह सही नहीं है और रजिस्ट्री के इस आचरण को नामंजूर करना चाहिए।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें मैं उठाना चाहता हूं लेकिन मैं सेवानिवृत्त होने से पहले कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन मैं इन सभी चीजों पर अपने विदाई भाषण में बोलूंगा।’’
दवे ने यह बताने के लिए ऐसी कुछ घटनाओं का जिक्र किया कि किस तरह से सूचीबद्ध विषयों को ‘कॉज लिस्ट’ से अंतिम क्षणों में विलोपित कर दिया गया जिससे वकीलों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
कुछ दिन पहले वरिष्ठ अधिवक्ता ने एक साक्षात्कार में कहा था कि प्रधान न्यायाधीश के पास पीठों को मामले (केस) आवंटित करने की कोई शक्ति नहीं है और उच्चतम न्यायालय में विषयों के आवंटन के लिए एक पूर्ण स्वचालित प्रणाली अपनाई जानी चाहिए।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति रमण इस साल 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उन्होंने 48वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर 24 अप्रैल 2021 को पदभार संभाला था।
दवे ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ‘‘हमने कल रात आठ बजे तक ब्रीफ पढ़ी। हमारे कई कांफ्रेंस भी थे और उस विषय को सूची से विलोपित कर दिया गया...यह सही नहीं है और रजिस्ट्री के इस आचरण को नामंजूर करना चाहिए।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें मैं उठाना चाहता हूं लेकिन मैं सेवानिवृत्त होने से पहले कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन मैं इन सभी चीजों पर अपने विदाई भाषण में बोलूंगा।’’
दवे ने यह बताने के लिए ऐसी कुछ घटनाओं का जिक्र किया कि किस तरह से सूचीबद्ध विषयों को ‘कॉज लिस्ट’ से अंतिम क्षणों में विलोपित कर दिया गया जिससे वकीलों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
कुछ दिन पहले वरिष्ठ अधिवक्ता ने एक साक्षात्कार में कहा था कि प्रधान न्यायाधीश के पास पीठों को मामले (केस) आवंटित करने की कोई शक्ति नहीं है और उच्चतम न्यायालय में विषयों के आवंटन के लिए एक पूर्ण स्वचालित प्रणाली अपनाई जानी चाहिए।
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