घग्गर नदी बाढ़: न्यायालय ने पंजाब-हरियाण को सीडब्ल्यूपीआरएस की सिफारिशों पर अमल करने को कहा
punjabkesari.in Wednesday, Aug 17, 2022 - 09:39 PM (IST)
नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि वे पुणे स्थित केंद्रीय जल एवं विद्युत अनुसंधान शाला (सीडब्ल्यूपीआरएस) की ओर से सुझाए गए उपायों पर अमल करें ताकि घग्गर नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण 25 गांवों में बाढ़ की समस्या का समाधान ढूंढ़ा जा सके।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने आदेश दिया कि सिफारिशों पर अमल की दिशा में प्रगति पर चर्चा करने के लिए संबंधित पक्षकारों की हर चार सप्ताह के अंतराल के बाद बैठक होगी।
अदालत ने कहा कि संबंधित राज्य सरकारों को सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे की सिफारिशों के अनुसार उचित और समयबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है ताकि 25 गांवों में नुकसान का कारण बनी घग्गर बेसिन में बाढ़ की समस्या को हल किया जा सके। अदालत ने कहा कि यह समयस्या कई सालों से नहीं सुलझ सकी है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम संबंधित राज्यों को सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे द्वारा प्रस्तुत अंतिम मॉडल अध्ययन रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के संदर्भ में उचित कदम उठाने और सुझाए गए सभी सुधारात्मक उपाय अपनाने के निर्देश देते हैं।’’
इस मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को होगी।
केंद्रीय जल आयोग की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने गणितीय मॉडल अध्ययन (एमएमएस) के संबंध में अतिरिक्त जानकारी दी।
शीर्ष अदालत नगर पंचायत मूनक और अन्य द्वारा घग्गर बेसिन में बाढ़ की समस्या को उजागर करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिससे पंजाब और हरियाणा के 25 गांवों को नुकसान हो रहा है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने आदेश दिया कि सिफारिशों पर अमल की दिशा में प्रगति पर चर्चा करने के लिए संबंधित पक्षकारों की हर चार सप्ताह के अंतराल के बाद बैठक होगी।
अदालत ने कहा कि संबंधित राज्य सरकारों को सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे की सिफारिशों के अनुसार उचित और समयबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है ताकि 25 गांवों में नुकसान का कारण बनी घग्गर बेसिन में बाढ़ की समस्या को हल किया जा सके। अदालत ने कहा कि यह समयस्या कई सालों से नहीं सुलझ सकी है।
पीठ ने कहा, ‘‘हम संबंधित राज्यों को सीडब्ल्यूपीआरएस, पुणे द्वारा प्रस्तुत अंतिम मॉडल अध्ययन रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के संदर्भ में उचित कदम उठाने और सुझाए गए सभी सुधारात्मक उपाय अपनाने के निर्देश देते हैं।’’
इस मामले की अगली सुनवाई नौ नवंबर को होगी।
केंद्रीय जल आयोग की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने गणितीय मॉडल अध्ययन (एमएमएस) के संबंध में अतिरिक्त जानकारी दी।
शीर्ष अदालत नगर पंचायत मूनक और अन्य द्वारा घग्गर बेसिन में बाढ़ की समस्या को उजागर करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिससे पंजाब और हरियाणा के 25 गांवों को नुकसान हो रहा है।
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