राजनाथ ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जोरदार वकालत की

punjabkesari.in Tuesday, Aug 16, 2022 - 09:46 PM (IST)

नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) ताइवान जलडमरूमध्य में बढ़ते तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी एशिया में समुद्री क्षेत्र में जो खराब स्थिति दिखाई दे रही है, वह उससे कहीं ज्यादा गंभीर हो सकती है।

अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर मॉस्को सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए सिंह ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जोरदार वकालत की और कहा कि वैश्विक निकाय निर्णय लेने में लोकतंत्रीकरण के बिना अपनी प्रभावशीलता को उत्तरोत्तर खो सकता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि समय के अनुरूप संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं को बदलने से प्रमुख शक्तियों का इनकार उभरती भू-राजनीतिक वास्तविकताओं और 1945 के बाद से हुई आर्थिक और प्रौद्योगिकी प्रगति की अनदेखी करता है।

सिंह ने कहा, "बहुपक्षवाद के ढांचे में वैश्विक सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता है, जो अराजकता, अस्थिरता और संघर्ष की उच्च संभावनाओं के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है।"
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रभावी समाधान तभी दे सकता है, जब वह यथास्थिति की रक्षा के बजाय पूरी दुनिया को आवाज दे।

सिंह ने कहा, "संघर्ष राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता तथा विकास के प्रयासों को गंभीर रूप से खतरे में डाल सकता है। उदाहरण के लिए, समुद्री क्षेत्र में-विशेष रूप से पूर्वी एशिया में आज हम जो भू-राजनीतिक स्थिति देख रहे हैं, वह उससे अधिक गंभीर हो सकती है।"
चीन के आक्रामक सैन्य रुख के कारण पूर्वी एशिया के समुद्री क्षेत्रों में स्थिति असहज हो रही है।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की हाल की ताइपे यात्रा के बाद से चीनी सेना ताइवान जलडमरूमध्य के आसपास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर रही है।

सिंह ने कहा, "हिंद महासागर के केंद्र में एक राष्ट्र के रूप में, भारत एक स्वतंत्र, खुले, सुरक्षित और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध है, जो सतत समुद्री व्यापार और आर्थिक गतिविधियों तथा वैश्विक कानूनी व्यवस्था के पालन को बढ़ावा देता है।"
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, पड़ोसियों के साथ समुद्री सीमा संबंधी मुद्दों के समाधान का भारत का संकल्प और हिंद महासागर में क्षेत्रीय समुद्री सहयोग पर इसका ध्यान इस बात का प्रमाण है कि भारत बहुपक्षवाद को महत्व देता है।

सिंह ने कहा कि बहुपक्षीय रूप से या इच्छुक राष्ट्रों के साथ साझेदारी के माध्यम से, भारत एक सकारात्मक और रचनात्मक एजेंडे में योगदान देना जारी रखेगा, जो समकालीन वैश्विक प्राथमिकताओं की बात करता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत की सक्रिय भागीदारी यूरेशिया में शांति, स्थिरता और समृद्धि की खोज में ऐसी ही एक प्राथमिकता है, जिसमें से भारत एक "अनिवार्य हिस्सा" है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने कई क्षेत्रों में वैश्विक प्रगति के लिए एक मंच दिया है, लेकिन स्पष्ट रूप से संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में आज "विश्वास का संकट" है।

उन्होंने कहा, "आतंकवाद, कट्टरवाद, जलवायु परिवर्तन, बढ़ते विषम खतरों, सरकार से इतर तत्वों की विघटनकारी भूमिका और गहन भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसी कई समकालीन वैश्विक चुनौतियां सामने आई हैं, जिनमें से सभी के लिए मजबूत बहुपक्षीय प्रतिक्रिया की जरूरत है।"
सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली की यह "चिंताजनक कमी" इसकी संरचनात्मक अपर्याप्तता को दिखाती है।

उन्होंने कहा, "संयुक्त राष्ट्र संरचना में व्यापक सुधारों के बिना और निर्णय लेने में लोकतंत्रीकरण के बिना, संयुक्त राष्ट्र उत्तरोत्तर अपनी प्रभावशीलता और प्रासंगिकता खो सकता है।"


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